
नए सुख के पास जादुई धूल होती है विस्मृति की
नए सुख में होती है मादकता
अफीम से ज़्यादा
नया सुख आता है
और मनुष्य बहुत कुछ भूल जाता है
कई बार तो उसे बिल्कुल याद नहीं रह जाता
ठीक पीछे का कोई ऐसा पल
जिसकी प्रतीक्षा की होती है कभी उसने
नए सुख के पास जादुई धूल होती है विस्मृति की
जिसे वह पलक झपकते डाल देता है
मन, मष्तिष्क और पुतलियों पर
पूरे कौशल से।
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-जितेन्द्र श्रीवास्तव