
चमेली
क्यारी में अम्मा ने जब
पौधा एक लगाया
खिलीं चमेली की कलियाँ
और फूल लगे मुसकाने।
सूरज की किरनें बिखरीं
तो झूम उठी हर डाली
घूँघट से झाँक-झाँक
हर कली लगी इतराने।
चाँदी जैसा गात सलोना
और हरे-हरे सब पात
गुंजन करते मधुप आ गये
लगे उन पर मंडराने।
फूलों की सुगंध पीकर
चंचल हुया समीर
मधुपों ने रसपान किया
लगी चमेलिया शरमाने।
जाने लगे नीड़ में पंछी
आ गयी सांध्य सुहानी
फूल झरे धरती पर कुछ
लगी चमेली मुरझाने।
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–शन्नो अग्रवाल