जी लो, जी लो

यह समय धोखेबाज है।

जी लो, जी लो, जी भरके
जो पास तुम्हारे आज है
कल क्या होने वाला है
उसका कुछ भी पता नहीं

यह समय धोखेबाज है।

मुरझाकर सब टूट रहे हैं
वृक्ष, फूल और डालियाँ
सब कुछ मिट्टी में मिल जाता
इसमे किसी की खता नहीं

यह समय धोखेबाज है।

अच्छे कर्म, दया भावना
निष्ठा से कर्तव्य निभाना
हो जीवन का उद्देश्य
मानव किसी को सता नहीं

यह समय धोखेबाज है।

ऊपर नीचे का आना जाना
सीढ़ी उतरो फिर चढ़ जाना
जब भी चाहे वह हमें नचाना
पर काल कभी हारता नहीं

यह समय धोखेबाज है।

*****

– शन्नो अग्रवाल

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