
हिंदी दिवस पर अनिता कपूर रचित हाइकु
1
प्रवास में भी
महक रही हिन्दी
जैसे गुलाब
2
मैं हुई मीरा
तुमको माना कान्हा
हिन्दी बाँसुरी
3
हिन्दी हो तुम
भावों की अभिव्यक्ति
दिव्य भास्कर
4
चांदी-सी हिन्दी
हमारी पहचान
फ्रेम में जड़ी
5
आँखों में हिन्दी
का है तेज़ाब लाना
पानी को रोको
6
हिन्दी की बूंदें
चूमे प्रवासी धरा
झूमे आसमां
7
रिश्ते प्रगाढ़
जब बोलते हिन्दी
प्रवास में भी
8
भाषा से छन
खुशबू भरे शब्द
हिन्दी को चूमे
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– अनिता कपूर (अमेरिका)