हिंदी दिवस पर अनिता कपूर रचित हाइकु

1

प्रवास में भी
महक रही हिन्दी
जैसे गुलाब

2

मैं हुई मीरा
तुमको माना कान्हा
हिन्दी बाँसुरी

3

हिन्दी हो तुम
भावों की अभिव्यक्ति
दिव्य भास्कर

4

चांदी-सी हिन्दी
हमारी पहचान
फ्रेम में जड़ी

5

आँखों में हिन्दी
का है तेज़ाब लाना
पानी को रोको

6

हिन्दी की बूंदें
चूमे प्रवासी धरा
झूमे आसमां

7

रिश्ते प्रगाढ़
जब बोलते हिन्दी
प्रवास में भी

8

भाषा से छन
खुशबू भरे शब्द
हिन्दी को चूमे

*****

– अनिता कपूर (अमेरिका)

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