
सुत्री मुदियंसेलागे इन्द्रा कुमारी दसनायक : सिंहली और हिंदी भाषा का पुल
सुत्री मुदियंसेलागे इन्द्रा कुमारी दसनायक एक बहुआयामी व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने हिंदी भाषा और साहित्य के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने शिक्षण, प्रशिक्षण, लेखन, अनुवाद और अनुसंधान के माध्यम से हिंदी भाषा को श्रीलंका में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
शैक्षणिक एवं व्यावसायिक जीवन:
सुश्री दसनायक ने अपने करियर की शुरुआत कलिणिय विश्वविद्यालय से की, जहाँ उन्होंने 2008 से 2010 तक हिंदी विभाग में जूनियर फेलो (प्राध्यापक) के रूप में कार्य किया। इसके बाद, उन्होंने रुहुणा विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मॉडर्न लैंग्वेजज़ एंड सिविलाइज़ेशन में हिंदी प्रशिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने भारतीय वाणिज्य दूतावास, हंबनटोटा, श्री लंका में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र में भी हिंदी प्रशिक्षक के रूप में कार्य किया है। कलिणिय विश्वविद्यालय में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने 2008-2009 तक बंदरनायक छात्रावास की शैक्षिक उप वार्डन और 2006-2007 में हिंदी विभाग की हिंदी परिषद की अध्यक्षा के रूप में भी जिम्मेदारी निभाई।
शिक्षा:
सुश्री दसनायक की शैक्षणिक पृष्ठभूमि भी हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है। उन्होंने 2014 में कलिणिय विश्वविद्यालय से हिंदी में एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने 2011 में भारत सरकार के मानव संसाधन व विकास मंत्रालय के केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा से हिंदी में स्नातकोत्तर डिप्लोमा भी प्राप्त किया। उन्होंने 2007 में कलिणिय विश्वविद्यालय से हिंदी में बी.ए. की डिग्री हासिल की।
प्रकाशन:
सुश्री दसनायक एक सक्रिय लेखिका और अनुवादिका भी हैं। उन्होंने हिंदी, सिंहली और अंग्रेजी भाषाओं में एक दृश्य शब्दकोश का संकलन किया है, जो भाषा सीखने वालों के लिए एक मूल्यवान संसाधन है। उन्होंने “विश्व भारती” पत्रिका में ‘The Lover of Hindi: Srimati Indra Dasanayake’ शीर्षक से एक जीवनी लेख भी लिखा है। उनकी लेखनी विभिन्न विषयों पर केंद्रित है, जिनमें ग्रामीण संस्कृति, सामाजिक मुद्दे, भारतीय साहित्य, हिंदी सिनेमा और आंचलिक उपन्यास शामिल हैं। उनके लेख “मुदिता”, “संतुष्टि” और “दैनिक पत्रिका” जैसे प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने मृणाल पांडेय की हिंदी कहानी “खेल” और कई अन्य साहित्यिक रचनाओं का सिंहली में अनुवाद भी किया है। इसके अतिरिक्त, उनके कई अनुसंधान पत्र राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें अज्ञेय और मार्टिन विक्रमसिंह के उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन और सच्चिदानन्द हीरानन्द वातस्यायन के उपन्यासों का विवेचनात्मक अध्ययन शामिल है।
गतिविधियाँ एवं उपलब्धियाँ:
सुश्री दसनायक की उपलब्धियों की सूची भी प्रभावशाली है। उन्होंने 2015 में भोपाल में आयोजित 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन में भाग लिया, जहाँ उन्हें विश्व हिंदी सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्होंने अनुसंधान और प्रकाशन पर कई कार्यशालाओं में भी भाग लिया है। उन्हें 2010-2011 में केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा द्वारा पुष्पा बूलचंदानी पुरस्कार और 2010 में मानस संगम, कानपुर द्वारा ‘मानस संगम पुरस्कार’ से भी सम्मानित किया गया है।
विशेषज्ञता एवं रुचि के क्षेत्र:
सुश्री दसनायक की विशेषज्ञता और रुचि के क्षेत्र व्यापक हैं, जिनमें शिक्षण, कोशकारिता, सृजनात्मक लेखन, अनुवाद, प्रकाशन, पत्रकारिता और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं। उनकी रुचि श्रीलंका और एशिया के सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों में भी गहरी है।
सुत्री मुदियंसेलागे इन्द्रा कुमारी दसनायक हिंदी भाषा और साहित्य की एक समर्पित विद्वान और प्रचारक हैं। उन्होंने अपने विविध कार्यों के माध्यम से हिंदी भाषा को श्रीलंका में बढ़ावा देने और भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी उपलब्धियाँ और समर्पण भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक हैं।
~ विजय नगरकर