मनोहरमयुम यमुनादेवी (श्रीमती): भाषा और साहित्य की समर्पित साधिका
मनोहरमयुम यमुनादेवी (श्रीमती) एक बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी हैं। वे एक कुशल प्रशासक, भाषाविद, साहित्यकार और समाजसेवी के रूप में जानी जाती हैं।
शिक्षा और संस्थान:
श्रीमती यमुनादेवी वर्तमान में श्री एम. ठाकुरजी महिला हिंदी गहाविद्यालय, नागमपाल पाओनम लैकाई, इम्फाल 795001 (मणिपुर) में सचिव के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने बी०ए०, हिंदी शिक्षण पारंगत, हिंदी शिक्षण निष्णात, साहित्यरत्न और परिचय (संस्कृत) जैसी शिक्षा प्राप्त की है, जो उनकी भाषा और साहित्य के प्रति गहरी रुचि और ज्ञान को दर्शाती है।
साहित्यिक योगदान:
श्रीमती यमुनादेवी ने मणिपुरी और हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने “मणिपुरी और हिंदी के सर्वनामों का व्यतिरेकी अध्ययन” नामक शोध कार्य किया है, जो भाषाविज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने “हिंदी-मणिपुरी सांस्कृतिक शब्दकोश” का निर्माण एवं संपादन किया है, जो दोनों भाषाओं के सांस्कृतिक संबंधों को समझने में सहायक है। उन्होंने विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अनेक रचनाएँ प्रकाशित की हैं और आकाशवाणी से भी उनका प्रसारण होता रहा है।
उपलब्धियाँ और सम्मान:
श्रीमती यमुनादेवी की साहित्यिक और सामाजिक गतिविधियों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया है। उन्हें सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन, नई दिल्ली में राष्ट्रीय हिंदीसेवी सहस्राब्दी सम्मान 2002 से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा, वे मणिपुर हिंदी परिषद् इम्फाल की कार्यसमिति की पूर्व सदस्य, पूर्वोत्तर नागरीलिपि प्रचार परिषद् गुवाहाटी में मणिपुर प्रदेश की प्रतिनिधि और मणिपुरी साहित्य परिषद् इम्फाल की आजीवन सदस्य रही हैं।
विशेषज्ञता और रुचि:
श्रीमती यमुनादेवी की विशेषज्ञता और रुचि का क्षेत्र शोध, कोशकारिता और संपादन है। वे भाषा और साहित्य के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय हैं और नए आयाम स्थापित कर रही हैं।
मनोहरमयुम यमुनादेवी (श्रीमती) एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं। उन्होंने अपने जीवन को भाषा, साहित्य और समाज सेवा के लिए समर्पित किया है। उनका योगदान न केवल मणिपुर में बल्कि पूरे भारत में हिंदी भाषा और साहित्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
~ विजय नगरकर