Category: विविध प्रवासी रचनाएँ

विचारों की भीड़ (वार्तालाप)

विचारों की भीड़ (वार्तालाप) -इन्द्रा (धीर) वड़ेहरा प्रश्न :​याद आते हैं दादा जी के शब्द जो अक्सर दोहराया करते थे : “ध्यान करने बैठो, साधना होने लगेगी।” ध्यान और साधना…

दो अँजुरी पानी

आजकल मैं भारत की राजधानी नई दिल्ली से कुछ 6300 किमी दूर, यूरोप के एक प्रतिष्ठित शहर लक्सेम्बर्ग में रहता हूँ। यह शहर इस देश की राजधानी भी है और…

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