Month: April 2025

ब्रिटेन के प्रवासी हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत – (संस्मरण)

ब्रिटेन के प्रवासी हिंदी साहित्य के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत –तरुण कुमार ब्रिटेन में हिंदी भाषा की समर्पित सेविका और साहित्य की प्रतिष्ठित रचनाकार जय वर्मा का 22 अप्रैल…

जापान के ओसाका विश्वविद्यालय में विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड–2025 का पोस्टर हुआ लोकार्पित – (रिपोर्ट)

जापान के ओसाका विश्वविद्यालय में विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड–2025 का पोस्टर हुआ लोकार्पित पद्मश्री से सम्मानित हिंदी के प्रसिद्ध विद्वान श्री तोमिओ मिज़ोकामि, हिंदी प्राध्यापक प्रो. वेद प्रकाश सिंह…

एमिलियोर फाउंडेशन द्वारा “स्मृति कलश” पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम – (रिपोर्ट)

एमिलियोर फाउंडेशन द्वारा “स्मृति कलश” पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम एमिलियोर फाउंडेशन ने 27 अप्रैल 2025 को CSOI, के.जी. मार्ग, नई दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम का आयोजन किया। इस…

अमेरिका से मंजू श्रीवास्तव ‘मन’ की बहुचर्चित कथा-संग्रह ‘मनिहारिन’ पर विस्तृत चर्चा – (रिपोर्ट)

कथा-संग्रह ‘मनिहारिन’ पर विस्तृत चर्चा 27 अप्रैल 2025 की एक अभूतपूर्व संध्या जो समर्पित रही अनेक पुरस्कार व सम्मान से सम्मानित अमेरिका में हिन्दी साहित्य के प्रसार प्रचार में अग्रणी,…

गीतों भरी शाम में झूमे श्रोता – (रिपोर्ट)

गीतों भरी शाम में झूमे श्रोता २५ अप्रैल २०२५ को लुधियाना के पंजाबी भवन, भारत नगर में आर के ग़ज़ल टाइम संस्थान कहकशां द्वारा आयोजित “जनून” कार्यक्रम में “यूं हसरतों…

स्कूल ऑफ टैलेंट डेवलपमेंट के कलाकारों द्वारा ‘क्विक सिल्वर चंद्रशेखर आज़ाद’ नाटक का सफल मंचन – (रिपोर्ट)

‘क्विक सिल्वर चंद्रशेखर आज़ाद’ नाटक का सफल मंचन ग़ाज़ियाबाद। लोहिया नगर स्थित हिन्दी भवन में 27 अप्रैल की शाम केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सौजन्य से xiii स्कूल ऑफ टैलेंट डेवलपमेंट…

गंध – स्पर्श – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** गंध – स्पर्श यह फूलअपनी सुगंध कोकुछ देर पहले तकपत्तियों में बांधे हुए था स्निग्ध हवा का एक झोंका आयाअब पत्तियां झर रही हैंऔर खुशबू…

यह शहर : लन्दन – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** यह शहर : लन्दन यह शहर उग रहा अब सेवार सा चारों तरफइस शहर की भीड़ में हर जन कहीं भटका हुआस्वप्न की इन फाइलों…

धुंए भरे कमरे में – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** धुंए भरे कमरे में उस धुंए भरे कमरे मेंबहुत लोग नहीं थेलेकिन जो थेवे अपनी उपस्थिति के प्रतिनिरंतर चौकन्ने थेउनकी आंखों में जो परेशानी थीवह…

वह लड़की – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** वह लड़की एक छोटी-सी लड़की थी वहकोई आठ वर्ष कीएक पवित्र जल-धार की खामोश थिरकन लहर कीजब उसकी आंखों मेंउसके पार मैंने उसे देखा थाएक…

मनोदैहिक विकारों में योग की भूमिका – (आलेख)

मनोदैहिक विकारों में योग की भूमिका – मनोज श्रीवास्तव कल भोपाल विश्वविद्यालय में Role of Yoga in Psycho-somatic disorders में बोलते हुए मैंने कहा कि योग मन का जनतंत्र है।…

मनोज कुमार श्रीवास्तव – (परिचय)

मनोज कुमार श्रीवास्तव सेवानिवृत्त अपर मुख्य सचिव, मध्यप्रदेश शासन भारतीय राजस्व सेवा 1985 बैच भारतीय प्रशासनिक सेवा 1987 बैच संप्रति-राज्य निर्वाचन आयुक्त एतद्पूर्व- मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुनर्गठन आयोग मंदसौर, राजगढ़,…

कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था…

कृष्ण-कृष्णा की प्रेमावस्था… (कुछ शास्त्रीय चरित्रों पर मुक्त विमर्श) – यूरी बोत्वींकिन, युक्रेन केनोपनिषद के तृतीय खंड में देवताओं का अभिमान तोड़ने के लिए ब्रह्म उनके समक्ष एक यक्ष के…

संकल्प – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** संकल्प मैं देखता हूं उन्हेंगाते हुए प्रेम-गानअपनी बाहों पर गुदे गुदने को देखकरवे कितने सारे नाम उन परवे कैथरिनें, वे एलिजाबेथेंवे डायनाएं और वे मार्गरटेंफिर…

वह सांप – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** वह सांप यह सांप जहरीला नहीं था(शायद)अचानक प्रकट हुआफिर कुछ दूर सामनेतन कर खड़ा हो गयामैं जड़वत उसे देखता रह गयावह तना खड़ा रहान हिला,…

‘वैश्विक हिंदी-लघुकथाएँ’ पुस्तक का हुआ विमोचन – (रिपोर्ट)

‘वैश्विक हिंदी-लघुकथाएँ’ पुस्तक पर आयोजित विमोचन-समारोह संपन्न हिंदी-लघुकथा का कीर्ति-स्तंभ है प्रस्तुत कृति : डॉ. डहेरिया नारनौल। ‘वैश्विक हिंदी-लघुकथाएँ’ पुस्तक का प्रकाशन लघुकथा विधा की विकास-यात्रा की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि…

माइकल एंजेलो – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन *** माइकल एंजेलो ठुमक रही है संगमरमरी शीशों परमैं देख रहा हूंइन पत्थरों पर पड़ती रोशनी की झांइयों मेंतुम्हारी कलाई का स्वप्न-नृत्यऔर मैं कल्पना कर रहा…

बार बार भारत – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन ***** बार बार भारत विद्यार्थी कहते थे-वे भारत देश जा रहे हैंवे भारत देश केवल कुछ पढ़ने-घूमने देखने हीनहीं जा रहे हैंजा रहे हैं वहां वह…

खिड़की के सामने का पेड़ – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन *** खिड़की के सामने का पेड़ मेरी खिड़की के सामने का यह पेड़सब ऋतुओं में बदला है, परइसे इंसान की तरह मौसमी नहीं कहा जा सकता…

सर विंस्टन चर्चिल मेरी मां को जानते थे – (कविता)

डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन *** सर विंस्टन चर्चिल मेरी मां को जानते थे सर विंस्टन चर्चिल जानते थे कि भारत क्या है।वे जानते थेक्योंकि वे मानते थे कि भारत ब्रिटिश-साम्राज्य…

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