मेरी काया – (कविता)
मेरी काया श्वासों के द्वार पर खड़ीमेरी कायाकाल का कासा पकड़ेमुक्ति का दान माँगती है! मेरी कायामेरा दिल चाहता है,तेरे मस्तक पर मैं कोई नया सूरजरौशन कर दूँ! तेरे पैरों…
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मेरी काया श्वासों के द्वार पर खड़ीमेरी कायाकाल का कासा पकड़ेमुक्ति का दान माँगती है! मेरी कायामेरा दिल चाहता है,तेरे मस्तक पर मैं कोई नया सूरजरौशन कर दूँ! तेरे पैरों…
गुमशुदा बहुत सरल लगता था कभीचुम्बकीय मुस्कराहट सेमौसमों में रंग भर लेना सहज हीपलट करइठलाती हवा काहाथ थाम लेना गुनगुने शब्दों काजादू बिखेरउठते तूफ़ानों कोरोक लेना और बड़ा सरल लगता…
विराट वह मेरी दोस्त-रानी,अपने अस्तित्व का रहस्य समझइक दिन जब घर से निकलीतो ओस की बूँदों नेउसके पाँव धोएपर्वत की ओर जाती पगडंडी नेउसको अपनी ओर आकर्षित कियापंछि यों की…
पैग़म्बर पर्वत चोटी पे खड़ा था वहबाँहें ऊपर की ओर फैलाएशान्त स्थिरगगन की ओर झाँकता . . . काले पहरनों में वहउक़ाब की तरह सज रहा . . . उसके…
सुरजीत जन्म स्थान: नई दिल्ली वर्तमान निवास: ब्रैम्पटन, ओंटेरियो शिक्षा: एम.ए.; एम.फिल. संप्रति : अध्यापन एवं इंश्योरेंस ब्रोकर (कैनेडा) प्रकाशित रचनाएँ: शिकस्त रंग, हे सखी, विस्माद, पारले पुल, परवासी पंजाबी…