Category: दुर्गा सिन्हा ‘उदार’

पतंग – (लघुकथा) 

पतंग – डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ “यह हरी पतंग किसकी इतनी ऊँची जा रही है?..ज़रा बताना तो?” नीहार ने अपनी सफ़ेद पतंग ऊपर लहराते हुए पूछ लिया, अपने साथी से,…

मुस्कुरा रहे हैं – (ग़ज़ल)

मुस्कुरा रहे हैं तुम्हारे सज़दे में सर झुकायावो ज़िन्दगी को लुभा रहे हैंहैं आँख नम दर्द से दिल है बोझिलये लब हैं जो मुस्कुरा रहे हैं ।। न जीना-मरना है…

दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ – (परिचय)

डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘उदार’ M.A., M.Ed (Gold Medalist), Ph.D (Psychology) भूतपूर्व व्याख्याता- BHU -शिक्षाविद्, -साहित्य सेवी, -समाज सेवी, (साहित्य व समाज सेवा द्वारा देश सेवा) -मनोवैज्ञानिक सलाहकार -देहदान द्वारा मानव…

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