अरमान – डॉ स्मिता सिंह ***** बस दो ही दिन पहले के नज़ारेअदभुत रोशनी, रूमानी नज़ारे,जब शब भी शबनम माफ़िक़ चमक बिखेरेपूर्णिमा के चाँद की चाँदनी में नहाईयाद आ गई बरसों पहले की खींची लकीरेंजिसने मेरे सब अरमान बिखेरे …चाँद से रौशन गगन विस्तृतख़यालों से रौशन तुम्हारी यादचलो एक बार फिर लिखे, मिटाएँरेत पर लिखा […]
हिंदी के इस वैश्विक मंच में 50 से अधिक देशों और भारत के प्राय: सभी राज्यों में स्थित लेखकों / विद्वानों की सक्रिय भागीदारी है। हमारा मानना है कि व्यावसायिक क्षेत्र में हिंदी का विकास ही हिंदी का भविष्य है और हम भाषा के प्रति सहानुभूति पर नहीं योगदान पर विश्वास करते हैं। आप सब का आह्वान करते हैं कि भाषा संबंधी परियोजनाओं को अपनी ऊर्जा और समय का योगदान कर मूर्त रूप दें।










सुकून तो देती थी चाय – (कविता)
सुकून तो देती थी चाय – डॉ स्मिता सिंह ***** चाय हो या कोई चाह,पक्का रंग जब तक ना चढ़ेऔर नहीं हो जुनून,कहाँ मिलता है सच्चा सुख और कौन देता है सुकून। पक्का रंग जब तक ना चढ़ेकहाँ आयेगा जीवन में स्वाद,वैसे ही फीका रह जाएगा जीवनजैसे एक प्याली फीकी चाय। मन कभी हो उदास […]
स्मिता सिंह – (परिचय)
डॉ स्मिता सिंह जन्म- 12 August शिक्षा- डॉक्टरेट कर्मक्षेत्र- मुंबई, दिल्ली, और सिंगापुर में। लेक्चरर के पद पर भारत में और सिंगापुर में। प्रमुख विधाएं- कविता, आलेख, व्यंग्य साहित्यिक प्रकाशन- नज़रें इंतज़ार में ( कहानी संग्रह)- नीलम प्रकाशन साप्ताहिक प्रकाशन (अंग्रेज़ी एवं हिन्दी में )- पर्यावरण पर लेखन (हिंदुस्तान टाइम्स, पटना एडिशन) साझा संकलन – […]
नरेश शांडिल्य के हाल ही में प्रकाशित दोहा-संग्रह ‘मेरी अपनी सोच’ पर चर्चा – (रिपोर्ट)
नरेश शांडिल्य के हाल ही में प्रकाशित दोहा-संग्रह ‘मेरी अपनी सोच’ पर चर्चा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान शिवाजी कॉलेज के हिन्दी विभाग और साहित्यिक संस्था ‘वयम्’ के संयुक्त तत्त्वावधान में देश के प्रख्यात दोहाकार नरेश शांडिल्य के हाल ही में प्रकाशित दोहा-संग्रह ‘मेरी अपनी सोच’ पर एक विस्तृत चर्चा का कार्यक्रम शिवाजी कॉलेज […]
लक्ष्मीबाई कॉलेज में “नारीरंग” कार्यक्रम का आयोजन – (रिपोर्ट)
लक्ष्मीबाई कॉलेज में “नारीरंग” कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज में “नारीरंग” कार्यक्रम का (NSS) सात दिन का शानदार आयोजन कॉलेज की प्रोफेसर डॉ मीनाक्षी आनंद के संयोजन में किया गया। कार्यक्रम में पूरा सप्ताह छात्राओं ने कई गतिविधियों में भाग लिया। जिसमें कला, संस्कृति, गीत संगीत के साथ अपने आस-पास के वातावरण […]
TP Jhunjhunwala foundation के द्वारा चिन्मय फाउंडेशन के आडिटोरियम में कार्यक्रम – (रिपोर्ट)
TP Jhunjhunwala foundation के द्वारा चिन्मय फाउंडेशन के आडिटोरियम में कार्यक्रम पद्मश्री डॉ शीला झुनझनवाली जी की Shila TP Jhunjhunwala foundation वंचितो, असहाय, ज़रूरतमंद लोगों के लिए समर्पित है और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को हर वर्ष सम्मानित करती है। इस वर्ष भी चिन्मय फाउंडेशन के आडिटोरियम में इस कार्यक्रम का […]
मनाली के इग्लू – (यात्रा संस्मरण)
मनाली के इग्लू (पहला दिन – 21 जनवरी 2021) मनोज श्रीवास्तव ‘अनाम’ इस्माईल मेरठी का वही शे’र ख़ुद को बारम्बार आकर्षित करता रहा है, जिसने केदार मिश्र को राहुल सांकृत्यान बना दिया। सैर कर दुनिया की गाफिल, ज़िन्दगानी फिर कहाँ? ज़िन्दगी ग़र रही, नौज़वानी फिर कहाँ ? बरक्स इस शेर के कुछ हौसला दिल में […]
मनोज श्रीवास्तव ‘अनाम’ – (परिचय)
मनोज श्रीवास्तव ‘अनाम’ जन्म : नवंबर 1983 (बहराइच, उ० प्र०) रचनाएँ : शे’र, कविता एवं कथेतर साहित्य में सृजनरत प्रकाशन : शाम और तन्हाई (दो लाइना इश्क़) शे’र संग्रह आगामी प्रकाशन : जो कह न सका….(काव्य संग्रह) निवास : दिल्ली९९ (सिटी ऑफ़ गार्डन) गाज़ियाबाद (उ० प्र०) – 201102 संपर्क : 📱 9582871847 📧 svt83mk.anam@gamil.com
वारंगल के ध्वंसावशेषों में – (य़ात्रा संस्मरण)
वारंगल के ध्वंसावशेषों में – डॉ वरुण कुमार “यहाँ कैसे आए, कोई काम था?” “नहीं, मैं तो यहाँ घूमने आया हूँ।” “यहाँ!” उनकी आँखों में हैरानी थी। “यहाँ क्या है?” मुझे काकतीय राजाओं के इतिहास के अवशेषों को देखने की उत्सुकता वारंगल खींच लाई थी लेकिन यह देखकर झटका-सा लगा कि अपने अतीत के प्रति […]
विनोद कुमार शुक्ल को ज्ञानपीठ पुरस्कार: एक साहित्यिक कृति का सम्मान – (सूचना)
हाल ही में एक महत्वपूर्ण साहित्यिक घटनाक्रम में, प्रख्यात हिंदी लेखक विनोद कुमार शुक्ल को प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। यह पुरस्कार न केवल शुक्ल जी के हिंदी साहित्य में अद्वितीय योगदान का सम्मान है, बल्कि यह हिंदी साहित्य जगत के लिए भी एक गौरवपूर्ण क्षण है। अपनी विशिष्ट […]