वक़्त इंसान को बहुत कुछ सिखा देता है
वक़्त इंसान से बहुत कुछ करा देता है!
कभी उसे देवता तो कभी हैवान बना देता है
कभी उसे यश तो कभी अपयश दिला देता है!
वक़्त ही था जिसने राम को वनवास दिया
कैकई को माता से कुमाता बना दिया!
देवताओं की ख़ातिर राम गए वन को
कलंक का टीका लगा माता कैकेयी को!
राम को भी अपार स्नेह करती थीं माता कैकेयी
फिर क्यों बहकावे में मन्थरा के वह आ गई!
बेचारी मन्थरा की भी नहीं थी गलती वहाँ पर
सरस्वती माँ आकर बैठी थीं उसकी जिह्वा पर!
हुआ था राम का जन्म रावण वध की ख़ातिर
न जाते वह वन तो होता कैसे उद्देश्य हासिल!
श्रवण कुमार की हत्या से थे दशरथ जी श्रापित
पुत्र विछोह से मरने के लिए थे वे अभिशापित!
भरत राजा बने कैकेयी ने था अपना वर मॉंगा
कौन सा जुर्म था कि उसने पाया अपयश इतना!
कौन मॉं नहीं चाहती भलाई अपने बेटे की
यह तो माँ की ममता है व सुलभ चेतना नारी की!
पर रखता नहीं कोई अपनी बेटी का नाम कैकेयी!
वे शायद नहीं समझ पाये जो उस पर गुज़र गई!
वह थी सौंदर्य से भरपूर विदुषी और योद्धा
अपने पति की प्यारी सहयोगी अर्धांगिनी थी!
समझाए कोई मुझे होता है फिर ऐसा क्यों
दुनिया में कैकेयी नाम अब भी श्रापित क्यों?
-आशा मोर