विदेश में योग की प्रासंगिकता
(23 जून 2024)

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अमेरिका के प्रसिद्ध विद्वान श्री धनंजय कुमार ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुभ कामनाएँ देते हुए कहा कि योग विविधता और एकाग्रता का द्योतक है। योग ने व्यापक प्रभाव छोड़ा है और इससे दुनियाँ का सभी समाज जुड़ा है। योग आधारित शिक्षा आमूल परिवर्तन ला सकती है। हम ऊर्जा, उत्पादन,वितरण और उपयोग आदि पर समुचित नियंत्रण पा सकते हैं।मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय दूतावास सूरीनाम में सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक एवं योग विशेषज्ञ डॉ॰ सोमवीर आर्य का कहना था कि हम लोग खुद योग का नियमित अभ्यास करें और अन्य को भी प्रेरित करें। योग के साथ न्याय होगा तो व्यवहार में दिखेगा और योगः कर्मसु कौशलम, चरितार्थ होगा। योग में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। विशिष्ट अतिथि के रूप में अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के महासचिव श्री श्याम परांडे ने कहा कि दशको पहले दूसरे देशों जैसे चीन कोरिया और थाई आदि में योग स्टुडियो खूब दिखाई देते थे मानों यह उन्हीं से उद्भूत है।ध्यातव्य है कि यह भारत के ऋषियों की देन है जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी 2014 में अंतरराष्ट्रीय रूप में मान्यता दी।जब हम स्वास से स्वास,स्वर से स्वर और कदम से कदम मिलाकर चलते हैं तो मन से मन भी मिलता है। महिला पतंजलि समिति दिल्ली की अध्यक्ष सुश्री सविता तिवारी ने कहा कि पतंजलि योग समिति का कार्य स्तुत्य है जिससे समूची दुनियाँ में हर क्षेत्र में योग, सम्मान सहित पहुंचा है। इस अवसर दिल्ली के द्वारका केंद्र की संरक्षक श्रीमती सरोज शर्मा ने अवगत कराया कि यहाँ रोज सुबह योग और प्राणायाम की निःशुल्क हाइब्रिड कक्षाएं संचालित होती हैं जिससे अनगिनत लोग लाभान्वित होते हैं।इसके अलावा प्रत्येक रविवार को विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा अनेक बीमारियों का निदान किया जाता है।

आरम्भ में साहित्यकार श्री अनिल जोशी द्वारा आत्मीयतापूर्क स्वागत किया गया।योग विशेषज्ञ श्री दीप चन्द्र पंत द्वारा संचालन का बखूबी दायित्व संभाला गया। शुरुआत में श्री पंत ने आभासी रूप में सभी से भ्रामरी और अनुलोम विलोम आदि का बड़े ही शालीन ढंग से विधिवत अभ्यास कराया। इस अवसर पर देश विदेश से जुड़े विशेषज्ञों का अभिनंदन किया गया जिनमें प्रमुख थे – श्रीमती स्नेहलता रावत –अमेरिका , कर्नल नारायण पाण्डेय ,दीप चंद पंत ,श्री आर एस भण्डारी और निरुपमा भण्डारी ,श्री शिव कुमार, ज्योति पंत,अनूप शंखघोषक ,बृंदा शर्मा,दीप शिखा और दिव्या माथुर आदि। अंत में दिल्ली से साहित्यकार डॉ अरविंद कुमार “पथिक, द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।