
डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
🪷 भानु नित्य भोर में 🪷
[महाशिव छंद, २१२ १२१२ २१२ १२१२]
भानु नित्य भोर में रश्मियाँ प्रसारता।
भृंग बाग में सदा धुन मधुर सँवारता॥
पेड़ नित्य झूमते बाँह नित पसारते।
पुष्प बाग में सदा रंग को निखारते॥
कोकिला सुना रही तान नित सुहावनी।
धुन मधुर निकालतीं पक्षियाँ लुभावनी॥
कुञ्ज की गली सदा कृष्ण धुन सुना रही।
कृष्ण संग राधिका गीत गुनगुना रही॥
ग्वाल बाल संग में कृष्ण खेलते सदा।
रास वे रचा रहे कुञ्ज बाग सर्वदा॥
गोपियाँ सुहावनी नित्य हैं बुला रहीं।
मोहनी लुभावनी गीत गा सुला रहीं॥
