चित्रा मुद्गल (Chitra Mudgal)

जन्म  : जन्म 10 दिसंबर 1944 को चेन्नई, तमिलनाडु में एक संपन्न परिवार में हुआ था। किंतु उनका पैतृक गांव उत्तर प्रदेश राज्य के उन्नाव जिले के निकट निहाली खेड़ा। दादा ठाकुर बजरंगसिंह’ अपने इलाके में मशहूर डॉक्टर के रूप में जाने जाते थे। उन्हें ब्रिटिश हुकूमत द्वारा ‘राय’ की उपाधि से नवाजा गया था। पिता ‘ठाकुर प्रतापसिंह’ नेवी में कमांडर थे। वह अपनी माता को ‘अम्मा’ कहकर बुलाती थी जो एक गृहणी थीं। बचपन से ही अपनी माता के प्रति उनका विशेष लगाव था।

शिक्षा : एम.ए  

प्राथमिक शिक्षा उनके पैतृक गांव निहाली खेडा के निकट भरतीपुर के कन्या पाठशाला से शुरू हुई। इसके बाद उनका परिवार मुंबई में आकर बस गया और यहाँ उन्होंने मुंबई के उपनगर विरेपारले में इंग्लिश मीडियम से अपनी पढ़ाई जारी रखी। शिक्षा के साथ-साथ उनकी रूचि चित्रकारी, कविता लेखन और नृत्य में थी। वहीं विद्यालयी जीवन में उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और कई पुरस्कार जीते।

उनकी कॉलेज जीवन की शुरुआत ‘सौम्या कॉलेज’, घाटकोपर से शुरू हुई। वहीं कॉलेज से ही उनके जीवन को एक नया आयाम मिला। उच्च शिक्षा के दौरान कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया व ‘समाजसेवा’ का कार्य भी उन्होंने कॉलेज जीवन से शुरू किया। इसके साथ ही वह श्रमिक महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागृत करने वाली संस्था ‘जागरण’ से भी जुड़ी। जहाँ उन्होंने महानगर में रहने वाले झोपड़पट्टी के लोगों के जीवन को करीब से देखा।

‘सर जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स’ (Sir J.J. School of Art) से फाइन आर्ट्स से डिप्लोमा प्राप्त किया। ‘एस.एन.डी.टी महिला विश्वविद्यालय’ (SNDT Women’s University) से स्नातक और स्नाकोत्तर की डिग्री प्राप्त की।

वैवाहिक जीवन

अवध नारायण मुद्गल के साथ 17 फरवरी 1965 को हुआ, जो अंतर्जातीय प्रेमविवाह था। इस विवाह का परिवारवालों ने कड़ा विरोध दर्ज किया था लेकिन उन्होंने अपना निर्णय नहीं बदला। उनकी दो संताने हैं, बड़े बेटे का नाम राजीव और छोटी बेटी का नाम अपर्णा है।

साहित्यिक रचनाएँ

उपन्यास

एक जमीन अपनी – वर्ष 1990

आवां – वर्ष 1999

गलिगडु – वर्ष 2002

पोस्ट बॉक्स नं. 203, नाला सोपारा – वर्ष 2018

कहानी संग्रह

जहर ठहरा हुआ – वर्ष 1980

लक्षागृह – वर्ष 1982

अपनी वापसी – वर्ष 1983

इस हमाम में – वर्ष 1986

ग्यारह लंबी कहानियाँ – वर्ष 1987

जगदंबा बाबू गाँव आ रहे हैं – वर्ष 1992

मामला आगे बढ़ेगा अभी – वर्ष 1993

चर्चित कहानियां – वर्ष 1994

जिनावर – वर्ष 1996

दि हाइना एंड अदर स्टोरीज – वर्ष 1988

केंचुल – वर्ष 2001

भूख – वर्ष 2001 

लपटें – वर्ष 2002

दस प्रतिनिधि कहानियाँ – वर्ष 2006

बाल उपन्यास

माधवी कन्नगी – वर्ष 1995

मणि मेखलै – वर्ष 2001 

जीवक – वर्ष 2001

बाल कहानी संग्रह

जंगल का राजा – वर्ष 1980

देश देश की लोककथाएँ – वर्ष 1986

नीति कथाएँ – वर्ष 1987

लेख

तहकानों में बंद आइनों में अक्स – वर्ष 1988

विचार – वर्ष 1988

बयान उनकी मुट्ठी में – वर्ष 2004

यह भी पढ़ें – वरिष्ठ साहित्यकार मृदुला गर्ग का संक्षिप्त जीवन परिचय

पाठ्यक्रमों में शामिल रचनाएँ 

NCERT के पाठ्यक्रम के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल किया गया है। ग्यारह लंबी कहानियाँ को ‘ओसका विश्वविद्यालय’ (Osaka University), जापान के हिंदी पाठ्यक्रम में शामिल की गई है। इसके साथ ही उनकी अन्य रचनाओं को ‘मोहनलाल सुखड़िया विश्वविद्यालय’ (Mohanlal Sukhadia University), उदयपुर व ‘यशवंतराय चव्हाण महाराष्ट्र मुक्त विश्वविद्यालय’ (Yashwantrao Chavan Maharashtra Open University), महाराष्ट्र में भी शामिल किया गया है।

पुरस्कार एवं सम्मान

प्रेक्षा सम्मान – वर्ष 1986

साहित्यिक कृति पुरस्कार – हिंदी अकादमी द्वारा वर्ष 1989 में कहानी संग्रह ‘इस हमाम में’ के लिए प्राप्त हुआ।

बाल साहित्य कृति पुरस्कार – वर्ष 1987 में हिंदी अकादमी, दिल्ली द्वारा बाल कहानी संग्रह ‘जंगल का राज’ के लिए प्राप्त हुआ। राजा राधिका रमण प्रसाद पुरस्कार – वर्ष 1987 में बिहार राजभाषा विभाग द्वारा ‘ग्यारह लंबी कहानियाँ’ संग्रह के लिए प्राप्त हुआ। 

विदुला सम्मान

फणीश्वरनाथ रेणु साहित्य पुरस्कार – वर्ष 1987 में बिहार राजभाषा विभाग द्वारा प्राप्त हुआ।

साहित्य सम्मान – वर्ष 1993

अंतरराष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान

साहित्य भूषण सम्मान

व्यास सम्मान – वर्ष 2003

साहित्य अकादमी पुरस्कार – वर्ष 2018 में ‘पोस्ट बॉक्स नं. 203, नाला सोपारा’, उपन्यास के लिए प्राप्त हुआ।

सम्पर्क : mail@chitramudgal.info

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