Category: व्यंग्य

मैकाले की आत्मा – (व्यंग्य कथा)

मैकाले की आत्मा डॉ. रवि शर्मा ‘मधुप’ मैकाले तो आम आदमी की तरह वक्त आने पर नश्वर देह को त्यागकर इस संसार से कूच कर गए। परंतु आत्मा तो अजर-अमर…

मजबूरी का सौदा – (व्यंग्य कथा)

मजबूरी का सौदा डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ गौरीपुरा गाँव के ठीक बीचों-बीच, बरगद के पेड़ के नीचे, गिरधारी की छोटी-सी दुकान थी। दुकान क्या थी, एक फटी-पुरानी चारपाई, जिस…

प्रेम का लाइसेंस – एक राष्ट्रीय योजना – (व्यंग्य आलेख)

प्रेम का लाइसेंस – एक राष्ट्रीय योजना डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ देश में समस्याएँ बहुत हैं — बेरोज़गारी, महंगाई, भ्रष्टाचार, और अब एक नई राष्ट्रीय आपदा: आधुनिक प्रेम, जिसे…

अंतिम उम्मीद का आखिरी टिकट – (व्यंग्य कथा)

अंतिम उम्मीद का आखिरी टिकट डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ पुराने शहर के उस कोने में, जहाँ सूरज की किरणें भी सरकारी फाइलों की तरह देर से पहुँचती थीं, एक…

एक खाली सिंहासन का दुःख – (व्यंग्य कथा)

एक खाली सिंहासन का दुःख डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ जनहित महासेवा सद्भाव समिति, जिसका नाम सुनते ही किसी के भी मन में ‘जनसेवा’ से अधिक ‘महा’ शब्द की विराटता…

आप कौन हैं? – (व्यंग्य कथा)

आप कौन हैं? – डॉ. सच्चिदानंद जोशी दिवाकर जी के आमंत्रण पर लिटरेचर फेस्टिवल के एक सत्र में ‘सोशल मीडिया पर बढ़ती अश्लीलता’ विषय वक्ता के तौर पर जाना था।…

नीचता अब नीति है, ऊंचाई अब गिरावट से नापी जाती है – (व्यंग्य)

नीचता अब नीति है, ऊंचाई अब गिरावट से नापी जाती है – डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’ सुबह का वक्त था, मगर मोहल्ले में अंधेरा छाया हुआ था। अंधेरा बिजली…

दाढ़ी – (व्यंग्य)

दाढ़ी – रवि ऋषि मेरी जो गिनी चुनी आदतें मेरी पत्नी को पसंद हैं, उनमे मेरी बढ़ी हुई दाढ़ी नहीँ है। और सफेद दाढ़ी तो बिलकुल नहीँ। जबकि हमें दाढ़ी…

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