वीणावादिनि

वीणावादिनि शत-शत नमन!
कैसे करूँ वंदना तिहारी
मैं अबोध बालक महतारी
शरणागत, हे मेरी माते-
शरण तिहारी आया हूँ।

तुलसी-वाल्या-काली
तेरी कृपा निराली,
वही कृपा हे हंसवाहिनी
दे अबोध के दुख हर ले।

वीणावादिनि! पद्मासना!
सुन ले मेरी उपासना
क्षुद्र बुद्धि कस करूँ नमन
वीणावादिनि! शत-शत नमन!

*****

-ऋषिकेश मिश्र

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »