हिंदी की पुकार
आओ चले,
निज भाषा की ओर
जिससे है पहचान हमारी
हिंदी हमारी मातृभाषा
जहाँ है ज्ञान का भंडार
भाषा है संस्कृति का आधार,
सीख लोगे जब संस्कार
होंगे संगठित तब परिवार,
बनेंगे घर-आँगन स्वर्ग समान,
मिलेगा सबको प्यार आपार।
बनेगी वसुधा एक कुटुम्ब,
बहेगी प्रेम गंगा की धार।
जो चाहते हो जीवन कल्याण,
करो हिन्दी में संवाद
करो हिंदी से प्यार
करो हिंदी का मान।।
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