ज़हरमोहरा

– दिव्या माथुर

‘आर यू प्रैगनैंट, माही?’ ग़ुसलखाने से बाहर निकलते ही जेसन ने महिका से सीधे-सीधे पूछ लिया। महिका सिर झुकाए कुर्सी पर आ बैठी; हां या ना कहने की भी उसमें हिम्मत नहीं थी; उसका सिर फटा जा रहा था और उसे बुरी तरह चक्कर आ रहे थे। इसके पहले कि जेसन अपना प्रश्न दोहराता, महिका एक बार फिर ग़ुसलखाने की ओर भागी। उसे लगा कि जेसन की शंका उसके कन्धे पर चढ़ी ग़ुसलखाने तक आ पहुंची थी; वह तिलमिला गई। इन कम्बख़्त उल्टियों ने उसे सरे-बाज़ार ला बैठाया था।   

‘माही, वाए डिडन्ट यू टैल मी?’ महिका की चुप्पी को उसकी हामी मानकर जेसन ने उसे बड़े प्यार से टहोका। आंखे झुकाए वह चुपचाप बैठी रही; उसके कंठ के भीतर जैसे नागफनी फैल गई थी।   

‘लैट अस कन्सल्ट डाक्टर जैक्सन।’ जेसन ने उसके कन्धे पर हाथ रखते हुए कहा तो महिका छुइ-मुइ के फूल की तरह सिमट गई; जेसन के प्रति उसकी वितृष्णा कहीं कम न हो जाए! जेसन उसकी पीठ सहलाने लगा तो महिका को लगा कि वह अब टूटी कि तब। उसके पलटने पर जेसन कहीं उसे सीने से ही न लगा ले। काश कि वह चिल्ला कर कह सकती, ‘गेट लौस्ट।’

महिका के सीने में ग़ुस्से का एक ग़ुब्बार उठा; फलों की टोकरी में रखी छुरी उसे अपनी ओर लालायित कर रही थी; कहीं वह जेसन की हत्या न कर दे। बात बनते-बनते बिगड़ गई थी; उसके घर छोड़ने के फ़ैसले का अब क्या होगा? आवेश में वह बालकनी में आ खड़ी हुई और नीचे की ओर देखने लगी; अपने आप को उसने सात मंज़िल का सफ़र हवा में तय करते पाया।    

इससे पहले कि कोई ऐसी वारदात घटे, बनारस से आकर पिता उसे लिवा जाएं तो क्या ही अच्छा हो किंतु फिर वही डर कि कहीं उसका वापिस लौटना मां और पिता के लिए अपमान का बाइस न हो; भाई-भाभी क्या कहेंगे? फिर वह यह कैसे स्वीकार कर ले कि वे सही थे? पिछले आठ महीनों में उसका अहंकार, आत्म-सम्मान और आत्म-बल चूर-चूर हो चुका था।     

‘इन गोरों का क्या भरोसा, माही। कौन जाने, लन्दन में कोई मेम इसका इंतज़ार कर रही हो।’ भाभी ने महिका को सावधान किया था।  

‘माही, बेटे एक बार और सोच समझ ले।’ पिता ने उसे प्यार से समझाया था।

‘तू अभी बीस की भी तो नहीं हुई, जल्दी क्या है?’ मां सचमुच ही घबराई हुई लगती थीं। उन्हें न तो जेसन की कोई बात ही समझ आती थी और न ही उसकी बन्दर की सी शक्ल जो मसालेदार खाना खाते ही लाल हो जाती थी। अनुवाद करते वक़्त महिका जेसन की कई बातें छिपा लिया करती थी जो मां और भाभी को तो क्या माघव भैय्या और पिता को भी शायद नहीं पचतीं जैसे कि लन्दन में जेसन और उसके मित्र रोज़ पब जाते थे, जहां वे आधी-आधी रात तक बैठे मदिरा-पान करते थे अथवा लीसा नामक युवति के साथ उसने चार लम्बे साल गुज़ारे थे। हालांकि वह स्वयं ईर्ष्या की शिकार थी किंतु ये सारे तथ्य महिका ने केवल अपने तक ही सीमित रखे थे, यह सोचकर कि पश्चिम में रहने वाले लोगों के लिए ऐसी बातें आम होती हैं; ‘वे औफ़ लाइफ़,’ ये सब घर वाले क्या समझेंगे?      

एक गोरे दोस्त के साथ घूमने की वजह से माधव भैय्या की इज़्ज़त ज़रूर बढ़ गई थी और उन्हें महिका और जेसन के विवाह पर भी क़तई एतराज़ न था किंतु परिवार वाले माधव को ही दोष दे रहे थे कि न वह जेसन को घर में रहने के लिए आमंत्रित करता और न ही ये दिन देखने पड़ते। जेसन, जो एक महीने के लिए बनारस घूमने के लिए आया था, महिका से मिलने के बाद पूरे चार महीने तक रुका रहा। वापिस जाने की उसे कोई जल्दी नहीं थी क्योंकि उसकी नौकरी तो छूट ही चुकी थी और मंदी की वजह से एक नई नौकरी का मिलना भी असम्भव था। लंदन लौटकर वह निजी कारोबार शुरु करना चाहता था। लंदन में उसका अपना मकान था, जिसे उसने भारत-भ्रमण पर निकलने से पहले किराए पर चढ़ा दिया था; आमदनी पाउंडस में और ख़र्चा रुपयों में।  

फिर महिका की ख़ुशी सबकी ख़ुशी हो गई थी। कैसी धूमधाम से शादी की थी पिता ने उसकी; पूरे बनारस में तहलका मच गया था। कोई ऐसा समाचार-पत्र अथवा पत्रिका न थी जिसमें उनके विवाह के चित्र न छपे हों, दूरदर्शन वालों ने तो अपनी पूरी टीम भेजी थी क्योंकि मित्र की बेटी के विवाह पर मुख्य-मंत्री स्वयं पधारे थे। उनके इशारे पर चमचमाती हुई सफ़ेद ऐम्बैस्डर कारें मेहमानों को इधर से उधर घुमा रही थीं। जेसन की बहन मार्गरेट और उसका पति रिचर्ड एक हफ़्ते पहले ही पहुंच गए थे। हैनरी और क्लिफ़ भी अपने दोस्त की शादी में शरीक होने के लिए बड़े ज़ोर और ख़रोश के साथ आए थे। जेसन की पूर्व माशूका लीसा, जिसका क़रीब तीन महीने पहले ही विवाह हुआ था, अपने पति डेविड के साथ आई थी, जिसे देखकर मार्गरेट और रिचर्ड तो एक तरफ़, जेसन स्वयं हैरान रह गया था। लीसा डेविड से चौबीसों घंटे ऐसी चिपकी रहती थी कि जैसे वह कहीं उसे खो न दे, उठते-बैठते वह उसे चूमती अथवा उसके गले में झूल झूल जाती। महिका को न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि लीसा का यह सारा खेल जेसन के लिए ही था।

महिका के ससुराल वालों की ऐसी ख़ातिर हो रही थी कि जैसे वे कहीं के लाट साहब हों। कोई दहेज़-वहेज़ का चक्कर तो था नहीं और इसीलिए महिका के माता-पिता ख़ुशी-ख़ुशी उनकी छोटी-छोटी इच्छाएं पूरी करने के लिए उत्सुक थे। मर्दों को सुनहरी अचकनें भेंट की गई थीं तो लीसा और मार्गरेट के लिए बनारसी साड़ियां। महिका के साथ जाकर वे दोनों मैचिंग चूड़ियां और गहने आदि ख़रीद कर लाई थीं, जिन्हें पहनकर वे फूली नहीं समा रही थीं। सहेलियां महिका की ख़ुशनसीबी से रश्क कर रही थीं।  

‘याद रखना, माही, माधव के साथ इस घर का आधा हिस्सा तुम्हारे नाम भी है, जब चाहो चली आना।’ विदा के समय पिता भावुक हो उठे थे; उनकी बेटी इंगलैंड जा रही थी। क्या वह जानते थे कि महिका एक दिन लौटेगी? भैय्या-भाभी को पिता की यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगी थी। महिका एक अमीर देश में जा रही थी; उसे भला क्या ज़रूरत थी इस घर के आधे हिस्से की?

‘तुम्हारी शादी में पापा जितना खर्च कर रहे हैं न, माही, उतनी तो इस मकान की क़ीमत भी नहीं होगी।’ भाभी ने व्यंग में कहा था।  

‘माधव और तुम्हारा ब्याह तो शायद हमने यतीमखाने में निबटा दिया था।’ मां ज़्यादा नहीं बोलती थीं किंतु बहु की बात उन्हें नागवार गुज़री थी; माधव का विवाह भी उन्होंने इतनी ही धूमधाम से किया था।

‘मम्मी, यह घर भैय्या के नाम ही कर दो। मुझे इसमें कोई हिस्सा-विस्सा नहीं चाहिए।’ महिका को उस घर से या उस घर की किसी चीज़ से क्या लेना देना था? वह तो विलायत जा रही थी, जहां बिजली और गैस की कोई कमी नहीं; जहां लोग बाज़ार जाकर ट्रौलियां भर-भर कर सामान ख़रीदते हैं और वही करते हैं जो उनका मन करता है। बनारस में तो बस बन्दिशें ही बन्दिशें, उठने बैठने पर, खाने-पीने पर, और तो और मुंह खोलने पर भी!  

‘महिका तो ग़लती से बनारस में पैदा हो गई। इसे तो इंगलैंड या अमेरिका में पैदा होना चाहिए था।’ महिका के नखरे और ठाठ-बाट देखकर भाभी और उनकी सहेलियां मज़ाक में कहा करती थीं। नाक सिकोड़े और भंवे ताने महिका घर से यूं निकलती थी कि जैसे मजबूरन उसे बनारस की गन्दी गलियों से गुज़रना पड़ रहा था। शायद इसीलिए, जैसे ही विदेश में बसने का मौका मिला, महिका ने बिना सोचे समझे हां कर दी थी; और इसी बात का डर था मां और पिता को पर वे क्या कर सकते थे? न तो महिका को दुनियादारी की कोई ख़बर थी और न ही जीवन का कोई अनुभव किंतु उस वक्त जेसन और लंदन में उसके बड़े निवास-स्थान के सिवा उसे कुछ नहीं सूझ रहा था।     

लंदन में बसने के ख़याल ने महिका को अपने जन्म-स्थान बनारस के प्रति और भी उदासीन बना दिया था। बहुत पीछे छूट गई थीं बनारस की वे तंग और गन्दी गलियां, कूड़े के ढेर, जिन्हें साफ़ करने के लिए लोग पानी के पाइप लगाकर छोड़ देते थे, जहां देखो पानी ही पानी, झाड़ू घुमाते भंगियों से रोज़ की किटकिट, मन्दिरों की चिप-चिप, रेड़ों पर रखे फल और मिठाइयों पर भिनकती मक्खियां और घरों की छतों से फेंके गए चूहों का राहगीरों के सिरों पर जा टपकना, जो अपनी धोतियां को घुटनों तक उठाए कीचड़ भरी गलियों में बचते-बचाते फचड़-फचड़ चलते चले जाते। तिस पर रोज़ शाम को बिजली की राशनिंग। आलों में टिमटिमाते दियों की रौशनी में एक हाथ से चश्मा सम्भाले मां को अपने दूसरे हाथ की उंगलियों से टटोल टटोल कर चीज़ें ढूंढते देख महिका को बड़ी खीज होती थी। बिजली जाते ही भैय्या-भाभी घूमने निकल जाते और महिका छत पर लेटी मच्छरों की घुनघुन सुनती और तालियां पीट पीट कर उन्हें मारा करती।

‘कम औन माही, डाक्टर जैक्सन विल सी अस ऐट टेन।’ ताली बजाते हुए जेसन ने महिका का ध्यान आकर्षित किया।  

‘आई एम औलरैडी लेट फ़ौर वर्क।’ महिका एक पब्लिक लाइब्रेरी में अंशकालिक काम करती थी, जहां से वह तब तक नहीं उठती थी जब तक कि जेसन उसे लिवाने न आ जाए; घर लौटने के नाम पर भी अब उसे दहशत होने लगी थी।

‘आई हैव इन्फ़ोर्म्ड यौर लाएब्रेरियन दैट यू विल बी लेट।’

‘बट आइ एम औलराइट नाउ।’ महिका ने जेसन को एक बार फिर टालने की कोशिश की।

‘नो, यू लुक टेरीबल।’ जेसन ने जूते लाकर महिका के पांव के पास रख दिए और उसे पालतु कुत्ते की तरह निहारने लगा।

‘राजकुमारी महिका, आपके पांव तो हमें धो-धोकर पीने चाहिएं।’ भैय्या मज़ाक में कहा करते थे। क्या जेसन भी मज़ाक उड़ा रहा था उसका? पिछले ही हफ़्ते तो भैय्या-भाभी का फ़ोन आया था, वे लन्दन घूमने आना चाहते थे। एक दो बार पहले भी वे इसका ज़िक्र कर चुके थे किंतु महिका उन्हें टाल रही थी। वह नहीं चाहती कि वे यहां आकर उनके घर का तमाशा देखें। बनारस में जेसन की माधव से ख़ूब छनी थी और छनती भी क्यों न, माधव ने उसपर दिल खोल कर पैसा लुटाया था किंतु उनके लंदन घूमने आने की बात सुनकर जेसन चुप लगा गया था।   

‘आरन्ट यू लेट फ़ौर वर्क, माही?’ तभी लीसा ने बैठक के अन्दर आते हुए पूछा। जब लीसा उसे ‘माही’ कहकर बुलाती है तो महिका के तन-बदन में आग लग जाती है। वह कौन होती है उसे ‘माही कहकर पुकारने वाली? वह तो जेसन से भी कहने वाली है कि अब से वह उसे ‘महिका’ कहकर ही पुकारा करे।

‘माही इज़ नौट फ़ीलिंग वेल; आइ एम टेकिंग हर टु डाक्टर जैक्सन।’ जेसन ने लीसा को बताया।

‘ओह नो, वाट हैप्पंड?’ लीसा ने उतावलेपन से पूछा।

‘शी हैज़ बीन वौमिट्टिंग।’ जेसन ने जवाब दिया तो लीसा ने महिका को एक पैनी दृष्टि से देखा। महिका को लगा कि जैसे लीसा उसका रोग पहचान गई थी। कल रात कहीं लीसा ने उसके खाने में ज़हर तो नहीं मिला दिया था? कैसे ध्यानपूर्वक देख रही है लीसा उसके चेहरे को कि जैसे लक्षण पहचानने के प्रयत्न में हो! नहीं, वह यह ख़तरा मोल नहीं लेगी। उसे जेल थोड़े ही जाना है। 

‘डू यू वांट मी टु कम विद यू?’ पूछते हुए लीसा ने अपना पर्स उठा लिया। महिका ने सोचा कि हर काम में टांग अड़ाने को आतुर लीसा क्या उनके साथ अब डाक्टर के पास भी जाएगी?

‘ओह नो, लीसा, यू बैटर वेट हियर, आइ एम ऐक्सपैक्टिंग ए पार्सल।’ लीसा का चेहरा एक पल के लिए उतर गया था पर उसकी मुस्कुराहट दूसरे पल ही लौट आई थी और एक बार फिर वह पूरे नियंत्रण में थी।

‘ओ के, माही, यू टेक केयर,’ लीसा ने बड़ी चिन्तापूर्वक पूछा था; यह चिंता महिका के लिए नहीं थी।

एक पल को लगा कि जैसे महिका का पांव ही नहीं अपितु उसका पलड़ा भी भारी हो गया हो। लीसा से छुटकारा पाने के लिए क्या महिका अपने गर्भ को हथियार बना सकती है?  

जेसन ने महिका को पकड़कर ऐसे उठाया कि जैसे कि वह एक नाज़ुक खिलौना हो जो छूने से भी टूट सकता था; लीसा तिरछी नज़र से उन दोनों को यूं देख रही थी कि जैसे छिपकली नाचते हुए मच्छरों को देखती है। जेसन और महिका के बाहर निकलते ही गर्वीली लीसा टूटी डाल सी सोफे पर आ गिरी; शायद यह समाचार उसके अंत की शुरुआत थी; उसका आत्मविश्वास हिल चुका था।  

जेसन और महिका के विवाह को अभी दो महीने भी नहीं हुए थे कि एक दिन रोती-धोती और डेविड को बुरा-भला कहती हुई लीसा उनके अपार्टमैंट में आ टपकी थी। महिका को लगा था कि लीसा का रोना-धोना सब जेसन की ख़ातिर ही था। जेसन की एक बहुत बड़ी कमज़ोरी थी लीसा; उस दिन के बाद उसने लीसा को कभी बिखरते नहीं देखा था;

डेविड से उसकी सुलह करवाने के लिए जेसन ने बहुत प्रयत्न किए किंतु सब बेकार। डेविड ने भी साफ़-साफ़ कह दिया था कि लीसा उसे नहीं, किसी और को चाहती थी। जेसन और महिका दोनों जानते थे कि डेविड का इशारा किसकी तरफ़ था।

लीसा की मां की ही सिफ़ारिश पर महिका को स्थानीय लाइब्रेरी में पार्ट-टाइम नौकरी मिल गई। महिका कश्मकश में पड़ गई किंतु यह सोचकर कि घर में रहते हुए ही वह कौन सा उन दोनों पर नज़र रख पाई थी, उसने नौकरी शुरु कर दी थी। सौतिया डाह से उबरने के लिए महिका ने ख़ुद को किताबों में डुबा लिया तो उधर जेसन को अपने प्रेमपाश में फांसकर लीसा उसके घर की स्वामिनी बन बैठी। महिका को लगने लगा था कि जैसे कबाब में हड्डी वह स्वयं थी। कहने को तो लीसा अपनी मां के साथ ग्रीन-पार्क में रहने लगी थी किंतु जेसन के बिज़नैस, जिसका दफ़्तर घर के बाहर वाली बैठक में ही खोल लिया गया था, में हाथ बंटाने के बहाने, लीसा सोलह-सोलह घंटे उनके घर पर ही टिकी रहती थी। 

‘कौल मी इफ़ यू नीड मी।’ जाते-जाते लीसा ने उन्हें एक बार फिर टोक दिया। मनहूस कहीं की; अचानक महिका का डर फिर लौट आया; जेसन के बच्चे को जन्म देगी महिका और पालेगी लीसा; वही तो सम्भालती है सब कुछ इस घर में। बिना किसी परिश्रम के लीसा उसके बच्चे की मां बन जाएगी; महिका फिर अकेली की अकेली। उसे नहीं चाहिए बच्चा-वच्चा। लीसा को बच्चा चाहिए तो अपना बच्चा पैदा करे! महिका बेकार में ही परेशान हो रही है। हो सकता है कि उसकी तबियत किसी और वजह से ख़राब हो। कितना अच्छा हो कि डाक्टर उन्हें बताए कि उसके पेट में कैंसर है!  

‘वेट ए मिनट, आइ फ़ौर्गौट माइ वालेट।’ महिका को कार में बैठाकर जेसन वापिस घर की ओर दौड़ा। महिका जानती थी कि वह किसी बहाने से घर वापिस जाएगा; निकलने से पहले वह जल्दी में लीसा को चुम्बन देना जो भूल गया था।  

‘सौरी डार्लिंग,’ कहता हुआ जेसन लीसा को आलिंगन में लिए चूम रहा होगा और सर्पण-लता सी लीसा जेसन के बदन पर फैल जाने के प्रयत्न में लगी होगी। महिका को लगा कि जैसे जीती हुई बाज़ी वह एक बार फिर हार गई थी। यहां रहेगी तो उसे यूं ही ख़ून के घूंट पी-पीकर जीना होगा।     

‘नौट नाउ, डार्लिंग, माही इज़ वेटिंग इन दि कार।’ जेसन उठने का प्रयास कर रहा होगा किंतु लीसा उसकी कमीज़ के बटन खोलते हुए कह रही होगी कि उसकी लिप्सा तृप्त किए बग़ैर वह कहीं नहीं जाएगा।  

कार में बैठी-बैठी बस यही सब सोच रही थी महिका; इस दौरान सदियां गुज़रती चली गईं। न जाने कितनी बार भोग चुकी होगी जेसन को अब तक लीसा! कार चलाकर उसे कहीं दूर निकल जाना चाहिए किंतु वह जाए तो कहां जाए? पुलिस उसे जल्दी ही खोज लेगी। कार को सामने वाली दीवार में ठोक दे तो कैसा रहे? दुर्घटना में मृत्यु हो जाएगी तो वह सब झंझटों से मुक्त हो जाएगी किंतु उसके पेट में पल रहे बच्चे का क्या होगा? एकाएक प्रसन्न होते हुए महिका ने सोचा कि क्यों न वह बनारस लौटकर ही बच्चे को जन्म दे; जेसन और लीसा से दूर। भैय्या-भाभी के अभी कोई संतान भी नहीं है; वे अवश्य बहुत प्रसन्न हो जाएंगे किंतु घर की याद आते ही महिका एक बार फिर निढाल हो गई। इस हालत में पीहर लौटेगी तो क्या कहेंगे सब? एक बार मां ने कहा था कि लड़की के दामन पर लगा बदनामी का दाग़ कभी नहीं धुलता।    

‘लैट्स गो।’ जेसन लौट आया था। क्या ग़ुल खिला कर लौटा था? तिरछी नज़र से महिका ने ऊपर से नीचे तक जेसन का मुआयना किया; बाल, कौलर, कमीज़, बटन, और तो और उसकी पैंट की ज़िप का भी का निरीक्षण कर डाला।  

‘डू यू स्टिल लव लीसा?’ महिका ने जेसन से एक बार पूछा था। 

‘माही, यौर माइन्ड इज़ फ़ुल औफ़ बनारसी रबिश।’ जेसन हंसते हुए कहा था।

‘डज़ शी लव यू?’

‘माही हनी, शी इज़ जस्ट ए गुड फ़्रैंड, ए चाइल्डहुड फ़्रैंड,’ जेसन ने हल्के अन्दाज़ में उसे टाल दिया था।

महिका को कभी कभी लगता कि वह शैल्फ़ में रखी एक ट्रौफ़ी भर है जिसे रोज़ झाड़-पोछकर वापिस सजा दिया जाता है। काश कि यह सच होता किंतु जेसन उसका पूरा ध्यान रखता है; अपनी पत्नी की तरह सबसे परिचय कराता है, उठते बैठते उसे चूमते हुए ‘हनी’ और ‘डार्लिंग’ जैसे शब्दों से सम्बोधित करता है। फिर भी महिका को यह क्यों लगता है कि वह लीसा के अधिक क़रीब था?  

‘टेल मी माही, वाट डू यू वांट टु ईट टुडे?’ अथवा ‘हाउ वाज़ यौर डे?’ लीसा भी जब तब महिका से बड़े प्यार और आदर से बात करती है; शायद जेसन को जताने के लिए कि वह महिका का इतना ध्यान रखती है किन्तु लीसा की आवाज़ में कृत्रिमता पकड़ने में मीता ने भी महारथ हासिल कर ली है।

‘एनिथिंग।’ हमेशा की तरह महिका उसे टाल जाती है जबकि लीसा के पकाए लैम्ब, पोर्क अथवा चिकन रोस्ट खाते-खाते वह ऊब चुकी है। वही जेसन जो मम्मी का बनाया हुआ खाना चटख़ारे ले लेकर खाता था, लीसा के आते ही एकाएक ब्रिटिश बन गया है। अपनी ही रसोई में वह इंडियन खाना बनाने से डरती है क्योंकि लीसा को मसाले बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हैं। वह चाहे तो अपने लिए अलग पका सकती है किंतु उसका मन भी तो हो; इतनी सुस्त तो वह जीवन में कभी नहीं थी।   

भोजन के उपरांत, महिका बर्तन उठाकर डिश-वाशर में भरने को उठती तो जेसन उसका हाथ बंटाने आ जाता जैसे कि लीसा को लेकर वह अपराध भावना से ग्रस्त हो। उन दोनों को अकेला छोड़कर महिका अपने कमरे में चली जाती और सोफ़े पर बैठे टीवी देखते हुए जेसन और लीसा एक दूसरे पर चुम्बन बरसाते हुए सोफ़े की सतहों में समा जाते। तकिए से अपने कान बन्द किए महिका सुनती उन दोनों की हवस भरी आवाज़ें और सोचती कि ये आवाज़ें उसकी जलन का ही परिणाम था; बाहर कुछ नहीं हो रहा। कहीं वह पागल तो नहीं हो गई?

‘हनी, लैट अस गो फ़ौर ए ड्राइव।’ रात के ग्यारह और बारह बजे के बीच लीसा को घर छोड़ने जाने के पूर्व जेवन हर रोज़ महिका से औपचारिकतावश पूछता है।

सीढ़ियों पर उतरती दोनों की हंसी महिका की आत्म-अधिरोपित क़ैद को बामुशक्कत कर जाती है। अपनी भिंची हुई पलकों के पीछे चलते हुए चलचित्र महिका रोक नहीं पाती।

लीसा के घर पहुंचते ही दोनों ने अपने कपड़े उतार फेंके होंगे और उनके गुत्थम-गुत्था हुए बदन स्वेद में नहा रहे होंगे। सम्भोग के बाद दोनों साथ-साथ लेटे हुए एक दूसरे के होंठों पर पुती चौकलेट से अपने मुंह मीठा करेंगे।  

‘आइ शुड लीव नाउ।’ अफ़रा-तफ़री में ट्रैक-सूट चढ़ाते हुए जेसन ने कहा होगा। बिस्तर पर पड़े नंगे शरीर की भूख अभी पूरी तरह से मिटी नहीं होगी। लीसा के मोहक बदन, गुलाबी होंठ और कामोत्तेजक आंखों ने जेसन को फिर से घसीट लिया होगा।  

बिस्तर पर चील के से पांव फैलाए लेटी महिका की सांसे यकायक फूल उठीं। जेसन को न वह अपने पास बर्दाश्त कर सकती है और न ही अपने से दूर। एक समय था जब वह जेसन के छूने भर से सरोद सी बज उठती थी; आज उसी के टूटे हुए तार उसके जिस्म को छलनी-छलनी करने पर तुले हैं। 

बारह बजे के कहीं बाद जेसन लौटता है तो उसे महिका सोती हुई मिलती है। पूरी तरह से मुतमइन होकर जब वह मीठी नींद में सो जाता है तो महिका उठकर सोफ़े पर जा लेटती है और देर रात तक टीवी देखती है जब तक उसकी आंखें जवाब न दे जाएं और उसका दिमाग़ काम करना बन्द कर दे।  

‘गुड मौर्निंग, माही।’ सुबह चाय बनाकर जेसन उसे प्यार से उठाता है तो महिका उसके चेहरे पर अपराध-भावना के चिन्ह ढूंढती है। कभी तो कहेगा जेसन कि अपने किए पर वह शर्मिंदा है! किंतु नहीं, उसके भोले-भाले तीखे नैन-नक्श वाले चेहरे पर महिका को अपराध का नामो-निशान नहीं मिलता। उसके ग़ुसलखाने में घुसते ही दूध की बोतल उठाए लीसा आ धमकती है और नाश्ते की तैय्यारी में यूं जुट जाती है कि जैसे गृहस्वामिनी वही हो। वैसे भी, महिका के लाइब्रेरी जाने के बाद उन्हें कहां समय मिलेगा नाश्ते पानी का?

घर की देख-रेख के अलावा लीसा को जेसन की टाइपिंग और फ़ाइलिंग करनी पड़ती है, पत्र और ई-मेल्स देखने होते हैं, बिजली-पानी-गैस-फोन आदि के बिल्स भरने होते हैं, कार की एम-ओ-टी, रोड-टैक्स और सर्विस के अलावा उसे टैक्स भी फ़ाइल करना होता है। तगड़े वेतन की एवज़ में जेसन उससे कस के काम भी लेता है। यदि लीसा कहीं मर-मरा जाए (हा हा हा!) तो क्या महिका ये सारे काम सम्भाल पाएगी?   

‘गुड मौर्निंग, माही।’ महिका नहाकर बाहर निकलती है तो ताज़े अन्दाज़ में मुस्कराती हुई लीसा उसका स्वागत करती है किन्तु उसकी आवाज़ में महिका न जाने कितने तंज सुन सकती है, ‘जब तक जेसन वापिस पहुंचा होगा, तुम तो सो चुकी होगी,’ या ‘तुम्हारी रात कैसी गुज़री?’ या फिर ‘यदि तुम्हें सचमुच कोई फ़र्क नहीं पड़ता, माही, तो मेरे जेसन को तुम छोड़ क्यों नहीं जातीं?’

जेसन और लीसा से आँख चुराती हुई महिका अपना सिर हिलाकर चुपचाप बैठ जाती है कि कहीं वह भी उनकी हवस की चपेट में न आ जाए। कितनी कायर और डरपोक है न महिका? अपने अल्प वेतन की दुहाई देकर वह जेसन की सुरक्षा में आराम से मुटा रही है। लोग सड़कों और पुलों के नीचे भी तो रहते हैं, उसने तो यहां औरतों को भी फ़ुटपाथ पर सोते देखा है। क्या हुआ जो उनके भिनकते शरीरों से बदबु आती है। महिका भी अपना स्लीपिंग-बैग लेकर उनके पास चली जाएगी किंतु नहाने-धोने और टौयलेट की याद आते ही वह अपना संकल्प तोड़ देती है और फिर स्वयं को प्रताड़ित करती रहती है कि उसके बस का कुछ भी तो नहीं।

‘वाट्स हर प्रौब्लम, जेसन?’ महिका से सचमुच सहानुभूति दिखाती हुई लीसा जैसे आंखों ही आंखों में जेसन से पूछती है कि वह क्यों नकचढ़ी महिका पर अपनी जान हल्कान कर रहा है, जो न किसी बात का जवाब देती है, न हंसती है न मुस्कुराती है, बाहर जाने के नाम से भी बिदकती है और काम के नाम से जिसकी जान निकलती है। उसे कौन समझाए कि महिका की सारी ‘प्रौब्लम्स’ की जड़ लीसा ख़ुद है।

‘शी इज़ एंटायरली फ़्रौम ए डिफ़्रैंट बैकग्राउंड।’ असंतुष्ट लीसा को समझाने का प्रयत्न करता रहता है जेसन; क्या महिका एक जानवर है, जिसे वह किसी चिड़ियाघर से उठाकर लाया है?   

वैसे भी ‘बैकग्राउंड’ से प्यार अथवा प्रतिबद्धता का क्या सम्बन्ध है? पूरी रात की रतिक्रिया के बाद आकर कह देना कि ‘इट डिडन्ट मीन ऐनिथिंग,’ के महिका क्या मायने ले? ईर्ष्या और बदले की भावना से ग्रस्त, महिका ने एक मर्तबा चाहा था कि अपने पड़ौसी माइटी-मिक के साथ वह भी एक रात गुज़ारे और सुबह वापिस आकर जेसन से कहे कि ‘इट मैंट नथिंग।’   

पहले ही सुबह लाएब्रेरी की ओर जाते समय कुछ युवकों ने महिका से छेड़खानी की थी तो माइटी-मिक ही काम आया था हालांकि उस समय तो महिका माइटी-मिक से भी डर गई थी। न चाहते हुए भी महिका उसे अपने साथ चलने से नहीं रोकती क्योंकि टौवर-हैमलैट के नौ-दस साल के बच्चे भी जेब में छुरे लेकर घूमते हैं। ख़ून की ख़ुश्बु की आदत है उन्हें; लड़ना-भिड़ना, गोलियां चलना और रेप्स रोज़मर्रा की घटनाएं हैं यहां किंतु यह सब जेसन और लीसा को पब जाने से नहीं रोकते। बनारस में वह भी तो राजकुमारी की तरह सड़क पर चला करती है किंतु वहां वह अपनों के बीच थी। यहां तो उसे सबसे डर लगता है।

‘निकल इस गन्दगी से,’ महिका कभी कभी अपने को धकेलती है किंतु उसके दिमाग़ से जेसन और महिका के मैथुनी चित्र हटें तो वह कुछ सोंचे। गर्भ की वजह से शायद उसके हार्मोंस भी अति-सक्रिय हो उठे हैं। फिर वह सोचती है कि यह सब तो बहाने हैं, असल में वह पैदाइशी बिगड़ी हुई और सिर-चढ़ी लड़की है, जिसे सब कुछ चाहिए; बिना किसी प्रयास के।  

‘भैय्या इतना भी सिर न चढ़ाओ छोकरी को, ससुराल में जाके दब के रैना होगा इसे, वहां तुम्हारी पुच पुच काम नहीं आएगी।’ बुआ कहा करती थी पापा से। क्या सचमुच वह जेसन की क़ीमत नहीं समझती? क्यों जेसन की एकमात्र मित्र को भी वह नहीं बर्दाश्त नहीं कर सकती?

‘लीसा रियलि इज़ ए नाइज़ गर्ल, वाय डोंट यू लाइक हर, माही?’ जेसन ने एक बार पूछा था महिका से।

‘वाए डिड्ंट यू मैरी हर देन?’ महिका का प्रश्न था।

‘बिकौज़ आइ वाज़ डैस्टिंड टु मैरी यू, हनी। कांट यू बी फ्रैंडली विद हर, फॉर माई सेक?’ जेसन मनुहार पे उतर आता है। हाँ, यह डैस्टिनी ही तो थी जिसने महिका को इस बेग़ैरत जगह पर ला पटका था और बेचारे डेविड को भुगतना पड़ा था लीसा की डाह का परिणाम। लीसा ने डेविड से विवाह भी शायद जेसन को सबक़ सिखाने के लिए ही किया होगा; लीसा को छोड़ कर वह भारत जो चला गया था।   

‘गिव देम ए लिट्टल प्राइवेसी, लीसा,’ पिछले ही हफ़्ते की तो बात है कि एक पार्टी में डेविड ने लीसा को सबके सामने लताड़ दिया था। सोफ़े पर अकेली बैठी महिका को देखकर वह शायद सब कुछ जान गया था।

‘डोंट पैट्रोनाइज़ मी।’ लीसा बिगड़ उठी थी; महिका को वह ऐसे घूर रही थी कि जैसे कच्चा चबा जाएगी जबकि शिकायत करना तो दूर, महिका ने डेविड से इस विषय पर बात तक नहीं की थी। वह तो उस पार्टी में भी ज़बरदस्ती लाई गई थी, शायद इसलिए कि महिका को छोड़कर वह लीसा के साथ वहां जाता तो लोग बातें बनाते; अब वह इत्मीनान से जेसन से बतिया रही थी।   

‘डू समथिंग बिफ़ोर इट इज़ टू लेट।’ डेविड ने लीसा और जेसन को सुनाते हुए महिका को सावधान किया तो सबसे आंख चुराती हुई लीसा बार-स्टूल पर जा बैठी थी।

‘वाए पीपल डोंट बिलीव इन लिव एंड लैट लिव, इज़ बियॉन्ड मी,’ कहता हुआ जेसन महिका के पास आ बैठा था।

लीसा के ‘डोंट पैट्रोनाइज़ मी’ से महिका को याद आया कि स्वयं लीसा उसे कैसे कैसे ‘पैट्रोनाइज़’ करती रहती है। महिका की बात समझते हुए भी लीसा ढोंग रचाती है कि उसे कुछ समझ में नहीं आया और शब्दों को चबा चबा कर वह महिका से बात किया करती है जैसे महिका की अंग्रेज़ी कमज़ोर हो।   

फिर एक दिन महिका को मिल ही गया था वह सबूत जिसकी तलाश में वह दिन रात एक किए थी। लाइब्रेरी के लिए निकली ही थी कि सामने के फ़्लैट में रहने वाली मिसेज़ हार्डी ने उसे आवाज़ दी। गठिए की वजह से उनकी कलाईयां बेकार हो चुकी थीं और जब तब वह जेसन अथवा महिका से मुरब्बे की बोतलें अथवा कैन्स खुलवाया करती थीं। इससे पहले कि मिसेज़ हार्डी न ख़त्म वाली कोई बात ले बैठें, जल्दी से कैन खोलकर महिका लिफ़्ट की ओर बढ़ी तो देखा कि उसके अपने घर का दरवाज़ा उघड़ा हुआ था। यह सोचकर कि शायद वह दरवाज़ा बन्द करना भूल गई थी, महिका ने दरवाज़े का हैंडल खींचकर बन्द करने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि उसे अन्दर से आती हुई संभ्रमित आवाज़ें सुनाई दीं। दबे पांव वह गलियारे में पहुंची तो उसने दरवाज़े की ओट से कार्पेट पर दो नंगे शरीरों को गुत्थम-गुत्था देखा। जड़ हुई न जाने कब तक वह जेसन और लीसा की न ख़त्म होने वाली लिप्सा का खेल देखती रही। जेसन का चेहरा दूसरी ओर था किन्तु लीसा ने उसे देख लिया था।

‘कम औन, माही, लेट मी सी वाट यू कैन डू,’ लीसा ने आँखों ही आँखों में महिका को ललकारा था।

महिका के दिमाग़ में एक साथ कई बवंडर बरपा थे; वह छत से कूद कर जान दे देने की सोच ही रही थी कि उसे लगा कि मरने से पहले उसे इन दोनों को सज़ा ज़रूर देनी होगी। दरवाज़े के बंद होने की आहट से जेसन को सुध आई।

‘माही, इज़ दैट यू?’ जेसन जब तक बिखरा बिखरा सा जेसन दरवाज़े तक पहुंचा, लिफ़्ट का दरवाज़ा बंद हो चुका था।

‘पापा, प्लीज़ मुझे ले जाओ यहां से।’ महिका अपने मोबाइल पर पिता के नम्बर का बटन दबाते दबाते रुक गई थी; इस बार वह पापा को दिक नहीं करेगी, यह मामला वह नहीं सुलझा पाएंगे। अपनी घुटी हुई हिचकियों की वजह से वह सांस भी नहीं ले पा रही थी।

महिका ने अपना फ़ोन स्विच औफ़ कर दिया क्योंकि जेसन उसे बराबर फ़ोन किए चला जा रहा था।

‘यू आर लेट माइका।’ माइटी-मिक, जो कैफ़े के बाहर खड़ा उसका इंतज़ार कर रहा था, उसे रोते हुए देखकर परेशान हो गया। सड़क पर रोती हुई महिका को देखकर कई लोग ठिठक गए थे। माइटी-मिक उसे कैफ़े के अन्दर ले गया और कोने में रखी हुई एक कुर्सी पर उसे बैठा कर वह उसके लिए झटपट पानी ले लाया, जिसे पीकर महिका की रुलाई रुकी।  

‘आइ विल किल दोज़ बास्टार्डस।’ माइटी-मिक ग़ुस्से में बोला था। यदि वह उनका राज़ जानता था तो शायद पूरा मोहल्ला ही जानता होगा।

‘माइका, यू कैन स्टे विद मी इफ़ यू लाइक और,’ माइटी-मिक ने उसे सांत्वना देते हुए कहा, ‘आइ कैन टेक यू टु दि काउंसिल, दे विल रिहैब यू।’

माइटी-मिक का धन्यवाद करती हुई महिका उठ खड़ी हुई थी। वह क्या नहीं जानती कि काउंसिल द्वारा उपलब्ध कराए गए मकानों में कौन रहता है? आसमान से गिरकर वह खजूर में अटकना नहीं चाहती। माइटी-मिक ही कौन सा दूध का धुला है?

लाइब्रेरी पहुंची तो लाइब्रेरियन ने उसे बताया कि जेसन के कई फ़ोन आ चुके थे। उसकी सूजी हुई आंखें देखकर उसने महिका से घर लौटने का अनुरोध किया जिसे नकारते हुए वह अपने डैस्क पर जा बैठी और तभी उठी जब जेसन उसे लेने आ पहुंचा। उसने सोचा था कि सुबह की उस घटना के बाद शायद जेसन शर्मिन्दा हो और उसे लेने ही न आए।

‘यू आर माइ ओनलि लव, माही। लीसा इज़ जस्ट ए फ़िज़िकल नीड।’ महिका के कार में बैठते ही जेसन शुरु हो गया था। होंठ भींचे वह खिड़की के बाहर देखती रही। माइटी-मिक कैफ़े के बाहर खड़ा उन्हें निहार रहा था। कितना अच्छा हो कि वह जेसन और लीसा की हत्या कर दे! फिर वह पूरी तरह से स्वतंत्र हो जाएगी।

‘जेसन ऐण्ड आई आर सो यूज़्ड टु ईच अदर, माही, वी ग्रियू अप टुगेदर।।।’ घर पहुंची तो लीसा भी वही राग अलापने लगी और जाते जाते वह महिका को इशारा दे गई कि यदि इस घर में रहना है तो उसे निभाना होगा।

यदि जेसन उसे दरवाज़ा दिखा भी दे तो माइटी-मिक तो है ही जो उसकी मदद को तैय्यार है किंतु फिर भी न जाने क्यों उसके मन से भय नहीं निकलता, उसके क़दम नहीं उठते। क्यों उसमें डिवोर्स मांगने की हिम्मत नहीं है? क्या आड़े आ रहा है – माँ के उपदेश, परम्पराएं, भारतीय स्त्री के जींस?

‘डार्लिंग, इट वोंट हैप्पेन अगैन, आइ प्रौमिस यू,’ जेसन को क्या पड़ी है कि वह महिका के नख़रे उठाए? अन्धेरा होते-होते महिका की चुप्पी से आक्रांत जेसन आख़िर कह ही उठा कि लीसा से उसके नाजायज़ सम्बन्ध के लिए महिका का ठंडापन और रुख़ाई ही उत्तरदायी थे। क्या वह ठीक ही कह रहा है?

‘लैट अस स्टार्ट अगैन, वी वर सो हैप्पी इन बैनारस। वाट हैप्पंड?’

महिका की चुप्पी से झुंझलाया हुआ जेसन बातें बना रहा है; वह उसे छोड़ क्यों नहीं देता? महिका ने तो सुना था कि विदेश में छोटी छोटी बातों पर लोग तलाक दे देते हैं।    

‘इफ़ यू वांट, आइ कैन आस्क लीसा टु लीव, बट इट वाज़ नौट हर फ़ौल्ट।’ पल पल में नर्म और गर्म पड़ते जेसन ने आख़िर लीसा को भी दांव पर लगा ही दिया था। जेसन शायद लीसा को छोड़ भी दे पर क्या लीसा उसे छोड़ देगी?

पिछले हफ़्ते की ही तो बात है टीवी पर बहु-विवाह प्रथा पर एक कार्यक्रम आ रहा था, जो एक अमेरिकन व्यक्ति की बारह पत्नियों और उनके बच्चों पर आधारित था।

‘क्या यह ग़ैरकानूनी नहीं है?’ हैरानी में महिका के मुंह से निकल गया था।

‘वाट्स इज़ लैजिटिमेट, मीका?’ लीसा को हिन्दी बिल्कुल नहीं आती थी किंतु महिका की बात वह समझ गई थी। महिका को लगा कि सुरसा राक्षसनि की तरह लीसा उसे समूचा निगलने के प्रयत्न में थी; ‘अति लघु रूप पवनसुत कीना’ की तरह वह सिमटती चल्ले गई किंतु लीसा के ‘कनक भूधराधार सरीरा’ के सामने उसकी तो वैसे ही कोई हस्ती नहीं थी।  

‘पौलिगैमी इज़ प्रैवलैंट औल ओवर दि वर्ड।’ जेसन ने भी टिप्पणी की थी। महिका के दिमाग़ में आया था कि मुसलमानों के भी तो होती हैं दो-दो तीन-तीन बीवियां; वे कैसे इकट्ठी रहती हैं? छी छी छी! यदि यह सब पसन्द नहीं है तो वह कोई क़दम क्यों नहीं उठाती? डरपोक कहीं की।

महिका उस रस्सी पर संतुलन बनाए खड़ी थी, जिसके सिरे सम्भाल रखे थे लीसा और जेसन ने, जिनके इर्द-गिर्द खड़े थे हाथों में तमंचे और बन्दूकें लिए टौवर-हैमलेट के शोर मचाते तमाशाई। जेसन चिल्ला चिल्ला कर लीसा को सावधान कर रहा था कि वह रस्सी को मज़बूती से पकड़े और ग़ुस्से में भरी लीसा जेसन को घूर रही थी कि जैसे कह रही हो कि यह मुसीबत वह अपने गले में क्यों पाल रहा था। अपनी ही एक चूक से महिका का पांव यकायक रस्सी पर से फिसला और वह एक ग़र्त में गिरती चली गई। कुछ होश आया तो देखा कि उसके पिता उसका सिर सहला रहे थे।

‘हमारी सुनी होती तो आज ये दिन तो नहीं देखने पड़ते।’ आंचल से आंसु पोछती हुई मां कह रही थीं।

‘बिरादरी में तुमने हमें मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ा।’ भैय्या बोले।

‘बनारस आने की क्या ज़रूरत थी इन्हें? वहीं कुछ कर करा लेतीं।’ महिका के बढ़े पेट की ओर देखते हुए भाभी कह रही थीं।   

पसीने में नहाई महिका एकाएक उछल कर बिस्तर पर बैठ गई, उसका सिर फटा जा रहा था।

‘वाट हैप्पेंन्ड, माही? यू हैड ए नाइटमेयर?’ महिका को गले से लगाए जेसन उसे तसल्ली दे रहा था। शायद वह अब भी एक लम्बे दुःस्वप्न से गुज़र रही हो; उसकी कोई शादी-वादी नहीं हुई है वह भी एक गोरे से, हाह! नींद खुलेगी तो वह बनारस में अपने मां-पिता के साथ बैठी होगी, भैय्या उसे इस-उस बात पर छेड़ रहे होंगे। ज़रूर दुःस्वप्न ही होगा, महिका के साथ भला इतना बुरा कैसे हो सकता है?  

महिका के दिमाग़ में जेसन और लीसा के कामुक आखेट स्वतः रिवाइंड होते रहते हैं। अब तो वे अपनी जिस्मानी मुफ़लिसी छिपाने की भी कोशिश नहीं करते कि जैसे अच्छा ही हुआ कि महिका जान गई और यह कि उसे मंज़ूर ही होंगे उनके अवैध सम्बन्ध कि वह कुछ नहीं कहती। ऐसे घुन्नी बने बैठे रहने से कब तक काम चलेगा? यह कोई बनारस थोड़े ही है कि उसके एक ठुनकने भर से सब काम हो जाएंगे। 

‘कौंग्रैचुलेशंस,’ डाक्टर जैक्सन ने उन्हें ख़ुशख़बरी दी तो जेसन ने महिका को आलिंगन में लेकर उसका माथा चूम लिया। क्या वह सचमुच प्रसन्न है या फिर डाक्टर के सामने औपचारिकता निभा रहा है? इन दोनों की भोली-भाली मुस्कुराहट के पीछे क्या छिपा हो, कौन जाने? महिका को सम्भाल कर उठाते हुए वह कार तक उसे ऐसे लाया कि जैसे वह मिट्टी का खिलौना हो।    

‘गैस वाट, लीसा, महिका इज़ प्रैग्नैंट,’ कार में बैठते ही जेसन ने चहकते हुए लीसा को मोबाइल फ़ोन पर बताया, किन्तु उधर से कोई आवाज़ नहीं आई। क्या जेसन को इस समय भी लीसा की ही स्वीकृति की ही फ़िक्र है? जेसन के इस अस्थिर व्यवहार से महिका और भी परेशान हो गई।   

‘यू वांट टू कांग्रैटूलेट माही,’ जेसन ने पूछा।

‘आई एम हैप्पी फॉर यू, माही, टेक केयर,’ लीसा की सपाट और ठंडी आवाज़ सुनकर न जाने क्यों महिका का दिल बैठ गया; लीसा की आवाज़ में आज पहली बार उसे कोई कृत्रिमता नहीं सुनाई दी।

‘हनी, वी विल इन्वाइट मैदव ऐण्ड बाबी ऐट दि टाइम औफ़ यौर डिलीवरी।’ हज़ार बार समझाने के बावजूद जेसन अब तक माधव को ‘मैदव’ और भाभी को ‘बाबी’ कहकर ही पुकारता है। अपने पिता बनने की ख़बर सुनकर जेसन शायद सचमुच उत्तेजित है; भैय्या-भाभी को बुलाने के लिए भी राज़ी है। क्या वह एक अच्छा पिता साबित होगा? क्या वह स्वयं एक अच्छी मां बन पाएगी? शायद नहीं, उससे तो कुछ नहीं हो पाएगा; कुछ भी तो नहीं। 

‘माही, लेट अस सैलिब्रेट अवर ग़ुड न्यूज़,’ घर के नज़दीक पहुंचे तो जेसन बोला। महिका की चुप्पी को उसकी ‘हां’ समझता है जेसन। ‘सैलिब्रेट’ के मायने ये हैं कि उन दोनों को शराब पीने का एक मौका मिल जाएगा। लाल शराब से भरे जाम टकराएंगे संतरे के रस से भरे गिलास के साथ।

‘लीसा विल बी डिलाइटड, आइ एम श्योर।’ जेसन का एकालाप जारी था। क्या सचमुच? जेसन का झुकाव महिका की ओर बढ़ जाएगा तो भला लीसा क्यों ख़ुश होगी? भावी संतान की ख़ातिर शायद एक दिन उसे जेसन को छोड़ना भी पड़े; लीसा के ‘डिलाइटड’ होने की बात महिका को समझ में नहीं आई। फिर एकाएक महिका का सीना चाक हो गया; जेसन और लीसा ने चार लम्बे वर्ष साथ गुज़ारे थे; इस दौरान उनके कोई संतान क्यों नहीं हुई? क्या लीसा में भी कोई ख़राबी है? ओह! एक बच्चे की ख़ातिर क्या वे महिका का इस्तेमाल कर रहे हैं? चाहे वे उसे बेवकूफ़ न भी बना रहे हों, उसके बच्चे को पालेंगे तो वे दोनों ही, महिका तो बस देखा करेगी कि कैसे लीसा उसके बच्चे को नहलाती है, तैय्यार करती है, ख़रीदारी से लेकर भोजन पकाने तक सब काम लीसा करती है। रात को प्रैम में बिठाकर वे दोनों उसके बच्चे को घुमाने ले जाएंगे। यह लीसा तो एक दिन उसकी जान लेकर ही रहेगी।   

एक के ऊपर दूसरी, दूसरी पर तीसरी, डर और डाह की न जाने कितनी पर्तें महिका के दिमाग़ में चढ़ती चली जा रही हैं। एकाएक महिका का मन हुआ कि चलती हुई कार का दरवाज़ा खोलकर कूद जाए; न होगा बांस, न बजेगी बांसुरी। शायद ज़िन्दगी भर न उबर पाएं लीसा और जेसन इस सदमे से; यही होगी इन दोनों की उचित सज़ा। उसे बचाने की ख़ातिर जेसन भी कूद पड़े और गंभीर रूप से घायल हो जाए तो क्या जीवन भर देख-भाल करेगी लीसा लंगड़े-लूले जेसन की?

जेसन के सिर में दर्द भी हो जाए तो लीसा का चेहरा देखने लायक होता है; कभी वह जेसन की मां बन जाती है तो कभी प्रेयसी। तभी तो जेसन उसे छोड़ नहीं पाता। लीसा और जेसन एक दूसरे के लिए ही बने हैं। महिका से तो कुछ नहीं होता, कुछ भी तो नहीं। भाभी ठीक ही कहती थीं कि घुन्नी महिका के बस का कुछ नहीं। वह ख़ुद को तो सम्भाल नहीं पाई, बच्चे को कैसे सम्भाल पाएगी?

क्या ऊल-जलूल सोचती रहती है महिका भी? जेसन और लीसा को सताने के लिए वह क्या अपने अजन्मे बच्चे को भी दांव पर लगा देगी? उसे लगा कि उसे किसी दिमाग़ी डाक्टर से सलाह लेनी चाहिए; यह सारा फ़ितूर उसके अपने ही दिमाग़ में है। जेसन और लीसा उसका भला ही चाहते हैं। उन्हें दुखी देखने के लिए वह ख़ुद दुख उठा रही है? अपने बच्चे को लीसा और जेसन को देकर वह उनके रास्ते से सदा के लिए हट जाएगी। वे दोनों उसे कहीं अच्छी तरह पालेंगे। महिका से स्वयं तो वैसे भी कुछ नहीं होगा। लगा कि जैसे पुराने घाव पर किसी ने एकाएक मरहम रख दिया हो।     

अपनी इमारत के कार-पार्क में घुसने के लिए जेसन ने कार को बाएं मोड़ा ही था कि देखा कि धूसर और गीली सड़क के बीचों-बीच सफ़ेद चाक से किसी व्यक्ति का एक ख़ाका ख़ींचा गया था; जिसके हाथ-पांव मुड़ी तुड़ी अवस्था में थे। ख़ासी भीड़ जमा थी, जिनसे पुलिस पूछताछ कर रही थी। तभी काले बैग़ में लिपटी एक लाश को स्ट्रैचर पर उठाए दो लोग एम्बुलैंस की तरफ़ लाए।

जेसन और महिका कार से उतरे ही थे कि लोग उन्हें घेर कर खड़े हो गए।

‘डिड यू नो लीसा?’ एक पुलिस वाला उनसे पूछ रहा था।

जेसन और महिका की ज़िंदगी का एक अहम् हिस्सा कट जाने पर भी उनसे चिपका हुआ था। लीसा उन दोनों की ख़ुशी और अपना निष्कासन बर्दाश्त नहीं कर पाई थी; आत्महत्या के बाद भी वह उनके जीवन में ज़हरमोहरा सी बढ़ने लगी।  

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21 नवम्बर 2011

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