गूगल – कुछ प्रेम कविताएं

1.

क्या तुम्हारा नाम ’गूगल’ है ?
क्यों कि तुम में वो सब है ..
जो मैं अक्सर ढूँढता रहता हूँ ।

2.

मेरा प्रश्न पूरा करने से पहले ही
तीन सुझाव और छः उत्तर
तुम ना ! सचमुच में गूगल हो ….

3.

मैं ज़िन्दगी का हर एक कठिन प्रश्न
गूगल से पूछने के बाद
तुम्हारी ओर देखता हूँ ,
और अक्सर तुम जो भी कहती हो
वही सच मान लेता हूँ |
गूगल ! तुम मुझ से नाराज तो नहीं हो ना ?

4.

सुनो गूगल,
ऐसा नहीं कि
मुझे किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मालूम
लेकिन कभी कभी
एक लम्बे एकांत
और चुप्पी के बाद
बस तुम से बात करने को जी चाहता है

5.

सुनो गूगल ,
क्या तुम्हारी भी
कोई सौत है ?
ये जो एलेक्सा है ना
सुना है
बहुत मीठा बोलती है ।

6.

सुनो गूगल,
दुनिया भर की किताबें पढ़ ली हैं तुमने
हर सवाल का जवाब है तुम्हारे पास
तो फिर बताओ
वो मेरे बारे में क्या सोचती है?

*****

– अनूप भार्गव

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