– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका

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सावन
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सावन की रिमझिम बौछार
भीग रहा मन भाव पसार
टप टप बूँदों सी थिरकूँ मैं
गाऊँ पी संग राग मल्हार

नाचे मोर पपीहा बोले
फुदक फुदक मेंढक दिल खोले
कोयल कुहुक कुहुकती डोले
चहक रहा आँगन घर द्वार

फूल खिले हैं उपवन उपवन
बौराया भँवरों का तन मन
ताक रही पगडंडी बिरहन
याद करें प्रियतम का प्यार

घिर घिर आए घटा घनेरी
बिजली चमक चमक ले फेरी
बन बरखा की साथी संगी
ठंडी ठंडी चली बयार

सावन की रिमझिम बौछार
भीग रहा मन भाव पसार।

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