– विनीता तिवारी, वर्जीनिया, अमेरिका

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बसंत ऋतु
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ऋतु बसंत की सुन किलकारी
सजी धरा की क्यारी-क्यारी।

लाल गुलाबी पीले रंग में
भ्रमरों की गुनगुन ले संग में
कलियों ने आरती उतारी
सजी धरा की क्यारी-क्यारी।

पंछी चहके दूर गगन में
ताप लिए रवि का आँगन में
झूमें-गाएँ सब नर-नारी
सजी धरा की क्यारी-क्यारी।

डाल-डाल कोंपल हैं फूटी
कोयल कुहुके खूँटी-खूँटी
राह तकत प्रियतम की प्यारी
सजी धरा की क्यारी-क्यारी।

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