– रम्भा रानी (रूबी), फिजी

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प्रकृति का संदेश

ये बयार की सरसराहट,
ये पंक्षियो की चहचाहट,
ये नदियाँ और लहरों का शोर,
ये बारिश में नाचते मोर,
ये प्रकृति कुछ कह रही है हम सबों से।

ये सुन्दर चाँद की ज्योति,
ये तारों की झिलमिल की माला पिरोती,
ये खिले हुए हँसते से फूल,
ये भँवरे, तितलियों से भरे हुए फूल,
ये प्रकृति कुछ कह रही है हम सबों से।

ये झरनों की कलकल,
ये मौसम की हलचल,
ये पर्वत की ऊंची शिखरों,
ये पेड़ों और बेलों की डाली हरे,
ये प्रकृति कुछ कह रही है हम सबों से।

आओ सुने प्रकृति की पुकार,
मिल कर करे संकल्प ये आज,
प्रकृति बचाएं भविष्य बचाएं।

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