
ऋतु शर्मा ननंन पाँडे, नीदरलैंड
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1. मेरी दुनिया ऑटिजम
मेरी दुनिया अलग है, मेरी बातें अलग हैं,
मैं देखता हूँ, मैं सुनता हूँ, अलग तरीके से।
मेरे दिल में खुशियाँ हैं, मेरे दिल में दर्द हैं,
मैं व्यक्त करता हूँ, अपने तरीके से।
मैं नहीं समझता हूँ, तुम्हारी बातें,
मैं समझता हूँ, अपनी बातें।
शब्द भंडार नहीं है मेरे पास
संवाद नहीं कर सकता मैं तुम्हारे जैसे
भीड़ से घबराता हूँ मैं
तेज आवाज़ से डर जाता हूँ मैं
भाव भी चेहरे के मैं ठीक से जानता नहीं
इसलिए मैं कभी-कभी तुम्हें पहचानता नहीं
दुख को तुम्हारे समझ पाता नहीं
इसलिए कभी तुमसे सहानुभूति
जताता नहीं
मैं कभी सहज हूँ, कभी असहज हूँ
मैं अलग हूँ, मैं विशेष हूँ,
मैं अपनी दुनिया में खुद को पाता हूँ
इसलिए मैं अपनी दुनिया में रहता हूँ।
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2. नाचते अक्षर
नाच रहें हैं अक्षर
काग़ज़ के ऊपर
रुकते नहीं तनिक भी
एक दो तीन चार
दो पल ज़रा ठहरो
मैं भी पढ़ लूँ तुमको
बाक़ी सब लोगों की तरह
नज़र आता नहीं जल्दी
फ़र्क़ मुझको घ और ध में ज़रा
लगता है बड़ा ख़राब
जब पढ़ पाता नहीं
मैं तुमको दोबारा
लोग भी कहते मुझको
बुद्धु और बेचारा
पढ़ने में ज़रा पीछे हूँ
पर तकनीकी में आगे
बनाता मिट्टी के खिलौने
और पेंटिंग मैं सबसे आगे हूँ
तरस खाये कोई मुझपे
पंसद नहीं है मुझको
मैं भी हूँ बच्चा औरों जैसा
बस चीज़ों को समझने में
समय कुछ ज़्यादा लेता
कुछ कहते डिस्लेक्सिया है
कुछ कहते आर्टिज़म है
मोहर मुझ पर कोई न लगाओ
कहो मुझे सिर्फ़ बच्चा कह कर बुलाओ
सिर्फ़ बच्चा कह कर बुलाओ
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@डॉ.ऋतु शर्मा ननंन पाँडे, नीदरलैंड