
–मंजु गुप्ता
एक दीपक अँधेरे के खिलाफ़
आज की रात
एक दीपक जलाओ
उनके लिए
जिनके तन रूखे
मन भूखे हैं
आज की रात
एक दीपक जलाओ
अँधेरे मन में
आँज दो ज्योति-रेख
निराश नयनों में
और रख दो
एक प्रज्ज्वलित दीपक
होंठों की देहरी पर
आज की रात
एक दीपक जलाओ
अनंत संभावनाओं का
एक दीपक क्षमताओं का,
सामर्थ्य का
एक दीपक भरोसे का,
आत्म विश्वास का
और हो जाओ खड़े
निर्भय, निश्शंक
अँधेरे के खिलाफ़.
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