बृजेंद्र कुमार भगत ‘मधुकर’ (राष्ट्रकवि), मॉरीशस


चेतावनी

हिंदी गई रसातल में तो गई हमारी आशा,
संस्कृति सिसक-सिसक रोएगी धर्म मरेगा प्यासा।
हिंदी को कुचलेगी प्यारे गौरांगों की भाषा,
हिंदू एक न होगा जग में पलट जाएगा पासा।
जिस हिंदी ने स्वतंत्रता दी उसको नहीं लजाएँ,
राम, कृष्ण, गौतम, गाँधी की सीख सदा अपनाएँ ।।
युवक-युवतियों आओ मिलकर हिंदी ध्वजा उड़ाएँ,
दुनिया के कोने-कोने में हिंदी सुमन खिलाएँ।
हिंदी के रक्षक प्रतिपालक दुर्दिन में बन जाएँ,
भाषाओं की समर भूमि में विजय सदा अपनाएँ।
अटल प्रतिज्ञा यही हमारी कभी न पीठ दिखाएँ,
जय जय जय हिंदी के नारे विश्व सकल गुंजाएँ ।।

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