
डॉ. सत्येंद्र श्रीवास्तव, ब्रिटेन
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गंध – स्पर्श
यह फूल
अपनी सुगंध को
कुछ देर पहले तक
पत्तियों में बांधे हुए था
स्निग्ध हवा का एक झोंका आया
अब पत्तियां झर रही हैं
और खुशबू बिखर रही है,
जमीन पर
घासों को
इस कदर
खिलखिलाते
पहले कभी नहीं देखा था।
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