
– अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया
कहो तो
कहो, तुम्हारा परिचय क्या है ?
सृष्टि-द्वार पर दिवा-रात्रि का
उषा-निशा ले आना जाना
बदली में छिप कर बिजली का
आवेशित संगीत सुनाना
संसृति रंगमंच पर प्रतिपल
अभिमंत्रित यह अभिनय क्या है ?
दूर क्षितिज के सौ अधरों पर
किसके नामों का उच्चारण
और बहकती पुरवाई में
किसके प्राणों का सम्मोहन
नीलाम्बर के खुले स्वयंवर
के नीचे का परिणय क्या है ?
नीलम शैल-श्रृंखला पर
अभिनन्दित किरणों का मुस्काना
मदमाते चंचल समीर का
बार-बार आँचल बिखराना
इन छवियों, कृतियों, ध्वनियों का
आज बता दो आशय क्या है !
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