
अनिल वर्मा, ऑस्ट्रेलिया
स्वीकृति
स्वीकृति
हमारे स्व की आकृति है
जो हमारी खुशियों का, कल्पना का,
हृदय का विस्तार है
हमें स्वीकार है
एक खुशबू है हवा में
प्रेरणा है गति में
अच्छा-सा लगता है
तुम्हारी उपस्थिति में
प्रार्थना कभी लगता
कभी लगता प्यार है
यह क्षणिक विस्मृति है
या दिल का उद्रेक है
कभी एक और एक ग्यारह है
कभी दो मिल कर एक है
आओ, बस पास रहो
यह गणित बेकार है
जीवन के वन में सखे
फूल हैं काँटे हैं
कर्मों की झोली से
प्रभु ने बाँटे हैं
हमारा यह आलिंगन
मंदिर का द्वार है
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