…तो अच्छा होता

– कृष्णा कुमार

हमें अजनबी ही रहने दिये होते, तो अच्छा होता,
जानकर,अनजान ना बने होते, तो अच्छा होता।

ख़ुशियों की उम्मीद ना होती
गुज़रे पलों की याद ना सताती,
कुछ रंग चाहत के होते
अहं को बीच में ना लाते, तो अच्छा होता।

तुम्हारी रुसवाई की बजाय
इक कसक दिल में रहती
इसे बाहर ना आने दिये होते, तो अच्छा होता।

तुम तो आगे निकल गए,
पीछे मुड़कर देख लिये होते,
तुम्हारे लिये दुआ माँगते पाते,
यूँ ही इन्तजार ना करते, तो अच्छा होता।

जी भर साँस तो ले पाते
रिश्ते का मातम ना मनाते, …अगर
हमें अजनबी ही रहने दिये होते, तो अच्छा होता,
जानकर,अनजान ना बने होते, तो अच्छा होता।

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