
– कृष्णा कुमार
लो वसंत रितु आई
लो वसंत रितु आई -२
पेड़ों पे कोंपल मुसकाई -२
सूरज की मीठी धूप पाकर
कलियों ने ली अँगड़ाई
लो वसंत रितु आई-२
इंद्रधनुष सा छाया धरती पे
पशु-पंछी में आशा की लहर दौड़ आई
नदियों की कल- कल,
झरनों की छल-छल,
कोयल की कुहकूँ,
पपीहे की पीहूँ-पीहूँ,
नव जीवन का संदेशा लाई
लो वसंत रितु आई-२
बर्फ से लदी पर्वत-चोटियों पे
ख़िली धूप ने,
ममता की गरमाहट सहलायी,
जल बन सींचा धरती, प्यास बुझायी,
सबके जीवन में नयी उमंग लहरायी,
सबने मिलके त्योंहारों की खुशिंयाँ मनायी
लो वसंत रितु आई-२
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