वस्येवलद गार्शिन (1855-1888)

रूसी साहित्यकार।

वस्येवलद गार्शिन रूसी साहित्य में थोड़ा लिखकर भी अपनी एक अलग पहचान रखते हैं। “गार्शिन से अधिक प्रतिभाशाली, अधिक विख्यात और अधिक महत्त्वपूर्ण लेखक भी हैं। किन्तु रूसी साहित्य में कोई दूसरा ऐसा लेखक नहीं है जो अपने बारे में यह कह सकता हो कि ‘अपने दिल को चीरकर ही मैंने सब कुछ लिखा है और हर शब्द के लिए उसे ‘ख़ून की बूँद’ के रूप में क़ीमत चुकानी पड़ी…” लेखक की 125वीं जयन्ती के अवसर पर ‘लितेरतूर्नाया गज़ेता’ (साहित्य पत्र) ने लिखा था। गार्शिन ने बीस से अधिक कहानियाँ नहीं लिखीं। फिर भी रूसी साहित्य के इतिहास में उनका एक ख़ास स्थान है। मानव के प्रति व्यथापूर्ण प्रेम, जिसकी महान शक्ति में लेखक का अत्यधिक विश्वास था, “दुनिया की सारी बुराई के विरुद्ध” ख़ुद संघर्ष करने का प्रयास और गहन मानवीयता से परिपूर्ण प्रतिभा— उनकी रचनाओं के ये विशेष लक्षण हैं।

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