मुखौटे
पढ़ी लिखी लड़की
काम पर जाती है
हवाई जहाज़ उड़ाती है
स्पेस शिप चलाती है
बिल्डिंग्स बनाती है
और टीचर बनकर
जीवन कैसे जियें
पाठ पढ़ाती है
वो इंजीनियर है
नर्स है, डॉक्टर है
वो अकाउंटेंट हैं
वो जज है, लॉयर है
पेशे में वो
पुरुष से कम नहीं
उसके बराबर हैं
पर जब घर आती हैं
अपने चेहरे का
कामकाजी मुखौटा
उतार फेंकती है
कभी बहू, कभी माँ
कभी भाभी का
मुखौटा लगाती हैं
सफाई करती हैं
खाना पकाती हैं
सबको खिलाती हैं
और रात को
प्रेमिका का मुखौटा
पहनती है
पति के साथ
हंसती मुस्कुराती है
और अंत में
अपने सारे मुखौटे हटा
असली रूप में
वापस आती है
और थक के
सो जाती है
संतुष्टि का भाव
अपने चेहरे पर लिए
और अगले दिन
फिर काम पे निकलती है
सच है
पढ़ी लिखी लड़की
कितने मुखौटे बदलती है
***
–रेखा राजवंशी