मैं नहीं जानती सृष्टि

मैं नहीं जानती सृष्टि
कि
तेरे किस रूप को नमन करूं।

नवरात्रि में पूज्य
तेरे नौ शक्ति रूपों
का नमन करूं
या फिर
माँ के रूप में स्त्री की आराधना करूं।

पत्नी के रूप में
नारी का सम्मान करूं
या फिर
बेटी के रूप में
उसकी पूजा करूं
देवी का रूप मानकर।

रामनवमी को
राम की पूजा करूं
या फिर
दशहरे पर
रावण की विद्वता का सम्मान करूं।

श्राद्धों में गौ मैया की
अर्चना करूं
या फिर
नागपंचमी को
नागदेवता का आवाहन करूं।

वटपंचमी को वटवृक्ष
के चक्कर लगाऊं
या फिर
सुबह शाम तुलसी मैया
के आगे ज्योत जलाऊं।

समझ नहीं पा रही हूं सृष्टि
कि
आज तेरे किस रूप पर ध्यान धरूं।

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-पुष्पा भारद्वाज-वुड

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