आईना

आज आईने में खुद से
मुलाकात हो गई
कुछ देर के लिए
जैसे सन्नाटा छा गया।

फिर हिम्मत करके
मैंने सवाल पूछ ही लिया
क्या बात है
इतने चुप क्यों हो
क्या जो देखा उस पर
विश्वास नहीं हुआ
या फिर जो देखा
वह रास नहीं आया।

फिर भी पलट कर
कोई जवाब नहीं दिया आईने ने।

बस हमारे दिल में
एक हसरत सी पैदा कर दी
उस आईने ने।
हमारी खुद की खुद से ही
पहचान के इस हादसे ने
एक बार – बस एक बार
आईने से कुछ शब्द कहलवाने की।

*****
-पुष्पा भारद्वाज-वुड

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