साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर

साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर
तो श्याम बन जाते हैं
बांसुरी अधरों का स्पर्श पाने को व्याकुल है
वो खुद से ही कहती है
जाने अब साँवरी घटाओं में क्या ढूँढ रहे है
राधिका के आने तक मुझे क्यों नहीं सुन लेते
काफी गीत याद किये है मैंने उनके लिए
एक मै ही हूँ जो सदा साथ रहती हूँ
तब ही कुछ कहती हूँ
जब वो सुनना चाहते हैं
पवन तुम ही किंचित बहो ना
तुम्हारे स्पर्श से ही वो मुझे हाथो में ले लेंगे
ये क्या सावरी घटाओं से सूर्ये भी दर्शन देने लगे
वो भी दर्शन के प्यासे हैं
ओह कितना सुन्दर दृश्य है
स्वर्ण जैसी किरणों ने श्याम को छुआ
और देखते ही देखते
श्याम साँवरे “सलोने” हो गए
ये मनमोहक दृश्य सिर्फ मेरे लिए
सिर्फ मेरे लिए
साँवरी घटाएँ पहन कर जब भी आते हैं गिरधर
तो श्याम बन जाते हैं

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-पूनम चंद्रा ‘मनु’

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