जोगिया तेरे प्रीत का रंग

न रंग जोगिया मोहे अपने तू रंग में
चाहूँ मैं रंगना अपने ही ढंग में

तेरे ही रंग में रंग जो गई मैं
मैं न रही मैं, तू ही भई मैं
काहे न रंगता तू मेरे संग में
न रंग जोगिया मोहे अपने तू रंग में

चाहूँ मैं रंग सारे इंद्रधनुष के
रंगरेजा जो दे झोली से उसके
रंग लूँ सभी रंग मैं सारे अंग में
न रंग जोगिया मोहे अपने तू रंग में

लाल, हरे, नीले, पीले रंग सभी ये
मिलते नहीं, इक संग, कभी ये
लाई हूँ भरके इनको मन की उमंग में
न रंग जोगिया मोहे अपने तू रंग में

जो भी मिले रंग रंगता चला चल
सुख हो कि दुःख हो, मंगता चला चल
साचा वही जो बहता तरंग में
न रंग जोगिया मोहे अपने तू रंग में

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-नितीन उपाध्ये

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