कवियों का स्वर्ग
(थाईलैंड के महान कवि राजकुमार बिद्यालोंकॉर्न द्वारा रचित “सूअंक सवान छन कवी” शीर्षक थाई कविता से प्रेरित है)
कवियों का स्वर्ग है अत्यंत सुन्दर
जहाँ चमक रत्नों से अलंकृत नभ भर
गूँजता रहा मधुर स्वर हर कहीं
सुयोग्य उपाधि कवियों का स्वर्ग है यहीं
कई उज्ज्वल विमान कई भव्य भवन
देखते ही बहुत संतुष्ट हुआ मन
रोशनी की किरणों से आया संगीत
दीपकों से आया लय लघु-दीर्घ
देखो, वृक्षों की शाखाओं पर पक्षी
गाना गाते रहे मधुर वाणी
उड़ जाते हैं यहाँ से वहाँ लगातार
उनके गानों के छंदों में तुकांत
सराहनीय हैं ये प्रसन्न गाने
स्वर्गीय पुष्पों के सुगंध महक रहे
गगन में सुगंधित सुगंध की लहरें
हमारा नतमस्तक सभी आनंदित-
कवि देवताओं को जो स्थित
उस लोक के कवियों के स्वर्ग में भी
इस लोक के काव्य की पंक्तियों में भी
दोनों स्थानों में अमर रहेंगे सदा
गगन और धरती दोनों में रहेंगे सदा
मैं सुनाता हूँ कवियों की प्रशंसा
आस्वादन करें अब सुनें मेरी कविता ।।
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(छायानुवाद : कित्तिपोंग बुनकर्ड, थाईलैंड)