हँसी और मुस्कान

हँसी और मुस्कान, दो बहिनें
एक होकर भी अलग
एक ही डाल पर खिले दो फूल
एक अधखिली कली, दूसरी पूरा खिला फूल
एक भोर की पहली किरन-सी उजली, नाजुक, लजीली
दूसरी जाड़ों की अंगना पसरी सुनहरी धूप
मुस्कान अज्ञात यौवना नायिका-सी दिलकश
हँसी खिलखिलाती, गदराई, मुग्धा नवयौवना
मुस्कान किलकता झरना,
हँसी उद्दाम, उच्छल, तटबंध तोड़ बहती नदिया
एक अनायास मनमोहती
दूसरी मंत्रमुग्ध कर छलकती गागर-सी
मुस्कान अधरों पर धरी उंगली-सी सम्मोहिनी
हँसी झर,झर बरसती बदरिया-सी मनभावनी
मुस्कान जब खिलती है कली-सी तो बन जाती है हसीन फूल
जो छिटकाती है रुपहली चाँदनी चहुंओर
दो बहिनें, जीवन डाल में खिले मनमोहक चंपक फूल
जिनके बिना जीवन अधूरा ही नहीं, हो जाता है निरर्थक, शून्य
हँसी और मुस्कान, नाजोंपली, लाड़ली बेटियाँ
जीवन को रसमय करती
इंसान को देवोपम बनाती, अनमोल मणियाँ

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-मंजु गुप्ता

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