
फूल खिल रहा है
वहाँ बगीचे में फूल खिल रहा है
नहीं, फूल हँस रहा है
फूल खुशियाँ बाँट रहा है
सुगंध लुटा रहा है
फूल शुभकामनाओं के रंग छलका रहा है
उमंगों के इंद्रधनुष बना रहा है
आशा की किरनें छलका रहा
विश्वास के दीपक जला रहा
ज़िंदगी का संदेश सुना रहा है
हाँ सच, फूल हमें आदमी का धर्म सिखा रहा है
सोई आत्मा झकझोर रहा
अंधेरा मिटा रहा
निराश मन में स्पंदन जगा रहा
रोशनी उगा रहा है
फूल बगीचे में नहीं, मेरे भीतर अंतर्मन में खिल रहा है
हँस रहा है, महक रहा है
विश्वास नहीं होता,तो झाँको न अपने भीतर
क्यों, खिल रहा है न, एक फूल
पंखुरियों के हाथ- पाँव डुलाता
कैसा हँस रहा है, वहाँ बगीचे में एक फूल खिल रहा है
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-मंजु गुप्ता