
नवोन्मेष नवतान लिखें
(लावणी छंद)
नये विचारों को संचित कर,
आओ नवल विहान लिखें।
नव पीढ़ी हो नूतन पथ पर
प्रगतिशील पथगान लिखें॥
नए विचारों से सजधज कर
नूतन गीत विधान लिखें।
नूतन पंक्ति उक्ति नूतन नित
नवोन्मेष नवतान लिखें॥
सभी दिलों में सदाचार का,
सदा सुवासित हो पोषण।
सत्कर्मों को नित अपनाकर,
सद्विचार का उद्घोषण॥
कर्मो की कूंची से मधुमय,
नवगीतों की तान लिखें।
घर-घर अलख जगायें अब हम,
मिल कर जागृत गान लिखें॥
रूढ़िवादिता को तज कर हम,
पथ नवीन प्रतिमान लिखें।
सरपट दौड़ लगाता जीवन,
जीवन-पथ गतिमान लिखें॥
निर्माणों के उद्यानों में,
भौरों का नित हो गुञ्जन।
मानवता की ममता लेकर,
समता का नित हो सर्जन॥
सुधीजनों को शीश नवाकर,
सुन्दर छंद विधान लिखें।
स्वर्णिम गौरव-गाथा पर अब,
नित नूतन अभिमान लिखें॥
नेकी के रस्ते पर चल कर,
नूतन नैतिक गान लिखें।
नए विचारों से भारत का,
सुन्दर गौरव-गान लिखें॥
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डॉ० अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’