जन्मदिन (8 दिसंबर) पर विशेष

मूल कविता : गीओर्गी दार्चियाश्विली

अनुवाद : गायाने आग़ामालयान

एस्मेराल्डा

लगता है कि मैं सपने में हूं
मानो मेरी आत्मा उड़ रही हो
वहाँ उस औरत के पास
जिसे एस्मेराल्डा कहा जाता था।
यहाँ भगवान की पवित्र माँ का मंदिर है,
यह अभी भी वहाँ है, यह अमर है,
इसकी घंटियों की ध्वनि स्वर्ग तक पहुँचती है,
और देवदूत नृत्य करते हैं।
मैं अब नश्वर नहीं हूँ,
मैं अपनी आत्मा को महसूस करता हूँ
जब स्वर्ग के पास रथ रुका
मैंने अपना एस्मेराल्डा देखा।
एस्मेराल्डा स्वर्ग चली गई
जब वह राख में बदल गई
एस्मेराल्डा पवित्र थी।
उसने अपने प्यार को धोखा नहीं दिया।
उसने प्यार का नाम तक न लिया।
उन्होंने मुझे देखा!
मानो उसने पहचाना मुझे, मानो नहीं
उसने मेरे कंधे पर हाथ रखी
मेरी आँखों में देखी,
मैं चकित था…
-क्या आपको कुछ कहना है?
-क्या तुमने मुझे पहचाना, क्या तुम्हें याद आया?
और मैं पहले जैसा हो गया
जैसे सांसारिक जीवन में…
उसने उत्तर दिया…

मैं तुम्हारी आत्मा को जानती हूं, तुम अलग हो…
वह बहुत बदसूरत था…
मंदिर की घंटियों के बजने से
वह बहरा हो गया…
और जब मैं बात करती थी
वह मेरे होठों को देखता था…
ये था उनका जवाब…

तो फिर तुमने मुझसे प्यार नहीं किया,
तुम मुझे स्वर्ग में क्यों ढूंढ रही हो?

उसने मेरी ज़िंदगी बचाई
और मेरी आत्मा को गले लगाने के लिए
अपने शरीर को अलविदा कह दिया…
उसने मुझे गले लगाया और मुझे अपनी आत्मा दे दी
मंदिर की अँधेरी और ठंडी दीवारों में…
मैं उसे यहां भी जानना चाहती हूं…
प्रेम अमर है…
एस्मेराल्डा मुझे देखकर मुस्कुराई,
उसने मुझे अपनी आत्मा में दफना लिया,
भगवान का शुक्र है…
सांसारिक जीवन में
किस्मत ने हमें हिम्मत दी…

*****


समय…

आख़िर साल बीतते जा रहे हैं,
मैं अब भी जीवन से प्यार करता हूँ,
मैं अब भी खुद को लड़का ही मानता हूं
और मैं अब भी उस महिला से प्यार करता हूँ।
तो फिर मैं बूढ़ा हो रहा हूँ,
मेरे सफ़ेद बालों को मत देखो,
मैं अब भी उस लड़की से प्यार करता हूं,
जैसे जब मैं छोटा था।
मुझे पता है साल बीतते जा रहे हैं,
परन्तु मेरी आत्मा बूढ़ी नहीं होती,
और मैं उस लड़की से प्यार करता हूँ,
वर्षों पहले की तरह।
बुढ़ापा साल नहीं है,
उम्र बढ़ना समय का बीतना है,
जब वह लड़की आपसे प्यार करती है,
तुम अब भी जवान हो।
मैं भी उससे प्यार करता हूँ, मैं इसे छुपाता नहीं हूँ,
मानो मैंने कोई घोड़ा चुरा लिया हो,
मैं हारने से नहीं डरता,
क्योंकि वह भी मुझसे प्यार करती है।
वर्षों से मत डरो,
अगर प्यार नियति है,
मैं चाहता हूं कि तुम मेरी किस्मत बनो,
और मेरे अनंत वर्ष…

*****

मूल कविता : गीओर्गी दार्चियाश्विली

अनुवाद : गायाने आग़ामालयान

गीओर्गी दार्चियाश्विली
 
 
परिचय
जॉर्जियाई अभिनेता और कवि गीओर्गी दार्चियाश्विली का जन्म 8 दिसंबर, 1957 को जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी में हुआ है। उन्होंने सिनेमैटोग्राफी संस्थान में अभिनेता का पेशा प्राप्त किया है। उन्होंने थिएटर में 50 से अधिक भूमिकाएँ निभाईं और उन्होंने “मॉसफिल्म”, “जॉर्जिया-फिल्म”, “राज कपूर फिल्म्स” फिल्म स्टूडियो में भी काम किया है। अपने अभिनय करियर के दौरान, गीओर्गी दार्चियाश्विली ने 16 फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने शशि कपूर की फिल्म ”अजूबा” /1991/ में प्रिंस अल्ताफ के रूप में अमिताभ बच्चन, अमरीश पुरी, ऋषि कपूर, डिंपल कपाडिया के साथ अभिनय किया। वह वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका में रहते हैं।

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