मूल कविता : वसील सिमोनेंको

अनुवाद : यूरी बोत्वींकिन

Ти знаєш, що ти — людина

Ти знаєш, що ти — людина.
Ти знаєш про це чи ні?
Усмішка твоя — єдина,
Мука твоя — єдина,
Очі твої — одні.

Більше тебе не буде.
Завтра на цій землі
Інші ходитимуть люди,
Інші кохатимуть люди —
Добрі, ласкаві й злі.

Сьогодні усе для тебе —
Озера, гаї, степи.
І жити спішити треба,
Кохати спішити треба —
Гляди ж не проспи!

Бо ти на землі — людина,
І хочеш того чи ні —
Усмішка твоя — єдина,
Мука твоя — єдина,
Очі твої — одні.

*****

मूल कविता : वसील सिमोनेंको

क्या तुम जानते हो

क्या तुम जानते हो, तुम हो एक मानव?
जानते हो तुम कि नहीं?
तुम्हारी मुस्कान और कहीं न मिलेगी,
तुम्हारी व्यथा और कहीं न मिलेगी,
न ये आँखें मिलेंगी कहीं।

याद रखना, कल इस संसार में
तुम तो रहोगे नहीं,
दूसरे चलते होंगे लोग,
प्रेम भी करते होंगे लोग,
दुष्ट और दयालू, ग़लत और सही।

आज सब तुम्हारे लिए हैं
झीलें, उपवन और मैदान।
जीने में देर न लगाओ,
प्यार में भी देर न लगाओ,
रहो हर घड़ी सावधान!

पृथ्वी पर बस तुम एक हो मानव,
चाहते हो तुम या नहीं,
तुम्हारी मुस्कान और कहीं न मिलेगी,
तुम्हारी व्यथा और कहीं न मिलेगी,
न ये आँखें मिलेंगी कहीं।

*****

हिंदी अनुवाद : यूरी बोत्वींकिन

वसील सिमोनेंको (8 जनवरी, 1935 – 13 दिसंबर, 1963) एक यूक्रेनी कवि और पत्रकार, यूक्रेनी प्रतिरोध आंदोलन के एक सदस्य थे। अपने छोटे से जीवन के दौरान, वासिल सिमोनेंको कई कविताएँ और उपन्यास लिखने में सक्षम  हुए, जिनमें से प्रमुख विषय अपनी जन्मभूमि से प्यार, अपने भाग्य के लिए जिम्मेदारी हैं।

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