चंद्रयान ने खिड़की खोली

इंद्रधनुष की किरणो से चंद्रयान की हँसी ठिठोली।

उड़ान का फर्राटा ऐसा,
ठुमकों पर चलती हो गोली
मामा देखेंगे कठपुतली
नाचे पहनी घाघर चोली
कत्थक गरबा और भाँगड़ा, नृत्य की पहुँचेगी टोली।

धरती माँ ने राखी भेजी,
खूब मनाया रक्षाबंधन
भेजे ’संदेसे’ बहना को,
ऊँचा सौगात से स्नेह धन
वसंत में चंदामामा से, रंगो की खेलेंगे होली।

आलय रहस्यमय मामा का
अजीब प्रयोगशाला जैसा
गंधक, और रसायन क्या क्या,
जादूगर के पर्दे जैसा
अरे! गगन ने, अंतरिक्ष की विद्या से भर दी है झोली।

अब बच्चों पर नहीं चलेगा
चालाकी का ताना बाना
दक्षिण ध्रुव के दरवाजे पर
छुपा लिया अनमोल खजाना
संदेशा प्रज्ञान ने दिया, चंद्रयान ने खिड़की खोली।

लंबी सफर थकान भरी थी,
बहुत धूल विकिरण की फाँकी
निंदिया घेरे, चाहूँ सोना
देखी दिव्य सृष्टि की झाँकी
वंशज मेरे आदर से, आकर बोलें मीठी बोली।

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-हरिहर झा, आस्ट्रेलिया

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