
कचनार
खेत बीच या खेत किनारे
वृक्ष लगे कचनार के
कोमल फूल लगे हर डाली
रूप रखा संवार के।
हरा वसन पहन झूमते
पात सभी और हर डाली
प्रति दिन इनको पानी देता
बगिया का बूढ़ा माली।
जब आता मौसम इनका
लगते फूल और कलियाँ
पीले लाल, सफेद फूलों पर
मंडराती हैं तितलियाँ।
फूल-पात की औषधि से
जाते कई रोग हैं भाग
चमकीली होती त्वचा और
फलियों से बनता साग।
सुंदर नार देखकर अक्सर
लोग याद करते कचनार
हांगकांग का राष्टरीय फूल
होती इसकी जय जयकार।
सबके ही मन को लुभाता
हरा-भरा पेड़ कचनार
धरा विहँसती पाकर ऐसा
कुदरत से अनुपम उपहार।
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– शन्नो अग्रवाल