भय


बच रहा था आप सबसे कल तलक सहमा हुआ
अब बड़ा महफूज़ हूँ मैं कब्र में जाने के बाद।

मौत का अब डर भी यारो हो गया काफूर है
ज़िंदगी की बात ही क्या ज़िंदगी जाने के बाद।

धड़कनों का था सफर अब यादें ही बस बच रहीं
मन यह खाली हो चुका है चैन छिन जाने के बाद।

ख्वाब में भी ख्वाब को अब फिर कभी न पाएंगी
आँख से पलकें जुदा हैं रूह बिक जाने के बाद।

था बहारों से घिरा, खुशबू ही खुशबू बिखरी थी
भीड़ में खोया था अब तनहा हूँ लुट जाने के बाद।
डूबा हूँ तेरी याद में हर लम्हा तर हो भीगता
बूंदों में मिल जाऊंगा सागर में धुल जाने के बाद॥

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– अनुराग शर्मा

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