मेरी बिटिया, मेरी मुनिया

पूजा के थाल का चंदन हो तुम
फूलों की ख़ुशबू, रंगत हो तुम

जैसे भजनों की भावना हो तुम
जैसे ईश की उपासना हो तुम!

हो सर्दी की धूप का उजियारा
है रोशन तुमसे ये जग सारा

ईश्वर का मधुर वरदान हो तुम
माता-पिता का सम्मान हो तुम

हो होंठों पे ठहरी मुस्कुराहट
हो जीवन में ख़ुशियों की आहट

हर छल दंभ से नादान हो तुम
मन का स्वप्न, अरमान हो तुम

तुम्हारी बोलियों में बसता है जग
तुम्हारे क्रंदन में रोता है सब

कंठ में खनकता गान हो तुम
परिवार की अब पहचान हो तुम

दुनिया में मेरी छोटी दुनिया हो तुम
मेरी बिटिया, मेरी मुनिया हो तुम

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– संदीप कुमार सिंह

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