
डॉ. मदनलाल मधु : बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी
डॉ. मदनलाल मधु एक प्रसिद्ध भारतीय लेखक, अनुवादक, पत्रकार और अध्यापक थे। उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया, खासकर हिंदी भाषा और रूसी साहित्य के क्षेत्र में।
शिक्षा और अध्यापन:
डॉ. मधु ने मास्को राजकीय विश्वविद्यालय से पीएचडी और पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए. ऑनर्स की डिग्री प्राप्त की थी। उन्होंने 1947 से 1957 तक मास्को में अध्यापन कार्य किया, जहाँ उन्होंने छात्रों को हिंदी भाषा और साहित्य का ज्ञान प्रदान किया।
लेखन और अनुवाद:
डॉ. मधु एक प्रतिभाशाली लेखक और अनुवादक थे। उन्होंने कई महत्वपूर्ण ग्रंथों का हिंदी में अनुवाद किया, जिनमें रूसी साहित्य के प्रसिद्ध रचनाएँ भी शामिल हैं। उन्होंने ‘प्रगति प्रकाशन’ और ‘रादुगा प्रकाशन’, मास्को में अनुवादक-संपादक के रूप में भी काम किया। इसके अलावा, उन्होंने ‘सोवियत नारी’ मासिक पत्रिका के साहित्यिक और शैली संपादन का कार्यभार भी संभाला।
पत्रकारिता:
डॉ. मधु ने पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपना योगदान दिया। उन्होंने ‘दैनिक ट्रिब्यून’ और ‘संडे मेल’ साप्ताहिक के संवाददाता के रूप में काम किया। उन्होंने ‘नवभारत टाइम्स’ के लिए वर्षों तक सांस्कृतिक, साहित्यिक और राजनीतिक विषयों पर लेख लिखे।
साहित्यिक गतिविधियाँ:
डॉ. मधु ‘हिन्दुस्तानी समाज’, मास्को की अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते थे। उन्होंने अनेक कवि-सम्मेलनों एवं साहित्यिक गोष्ठियों में सक्रिय रूप से भाग लिया, जहाँ उन्होंने अपनी कविताओं और लेखों के माध्यम से हिंदी भाषा और साहित्य को बढ़ावा दिया।
पुरस्कार और सम्मान:
डॉ. मधु को उनके साहित्यिक और सांस्कृतिक योगदान के लिए अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया। 2001 में उन्हें भारत-रूस मैत्री तथा सांस्कृतिक संबंधों के सुदृढ़ीकरण के लिए रूस के राष्ट्रपति द्वारा ‘मैत्री पदक’ से सम्मानित किया गया था, जो रूस का एक सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। 1991 में उन्हें विदेश में हिंदी भाषा तथा साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए ‘पद्मश्री’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
अन्य उल्लेखनीय
उपलब्धियाँ:
* 2013 में सत्यभूषण शिकार सृजन सम्मान
* 2008 में राज भाषा सम्मान
* 2007 में लक्ष्मीमल्ल सिंघवी सम्मान, विश्व हिंदी परिषद द्वारा
* 2006 में स्वर्णाक्षर सम्मान, मास्को मीडिया यूनियन द्वारा
* 2004 में ‘हिंद रत्न’, ‘अंतरराष्ट्रीय प्रवासी कांग्रेस’ द्वारा
* 2004 में श्रेष्ठ प्रवासी की उपाधि, अंतरराष्ट्रीय प्रवासी कानफ्रेंस
* 1999 में रूस के महाकवि पुश्किन की द्विशताब्दी के अवसर पर ‘पुश्किन स्वर्ण-पदक’ तथा प्रशस्तिपत्र, अंतरराष्ट्रीय पुश्किन समारोह समिति द्वारा
* 1987 में ‘द्विवागीश’ की उपाधि, भारतीय अनुवाद परिषद द्वारा
डॉ. मदनलाल मधु का जीवन और कार्य हिंदी भाषा और रूसी साहित्य के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उन्होंने अपने लेखन, अनुवाद, पत्रकारिता और अध्यापन के माध्यम से दोनों देशों की संस्कृतियों को जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया।
*** *** ***
~ विजय नगरकर