Category: कनिका वर्मा

मैं एक बार फिर डरी – (कविता)

मैं एक बार फिर डरी जब उसने अपने पोषण से सींच करमुझे नया जन्म दियाहर नए प्रेम-क्षण से मेरे अंदर एक कविता जन्मीमेरी आँख के आँसू पोंछते हुए जब उसने…

घर – (कविता)

घर लोग कहते हैं किघर इंसानों से होता है दीवारों से नहींआशियाना रिश्तों से बनता हैईंट-पत्थरों से नहीं घर ढूँढ़ते-ढूँढ़ते हर रोज़दिन से रात हो जाती हैसड़कों पर भटकते हुएकई…

हाँ, मैं अमृता हूँ – (कविता)

हाँ, मैं अमृता हूँ हाँ, मैं अमृता हूँहाँ, मैंने मोहब्बत की इबादत में बग़ावत की हैहाँ, मैंने ख़ुद की खोज में अपनी ही पहचान छोड़ी हैहाँ, मैं वी आख़दी आँ…

कलूटी रात – (कविता)

कलूटी रात लोग कहने लगे,“तुम्हारे चेहरे का नूरकहाँ जा रहा है?”अपने टोकने लगे“ये आँखों के नीचे काला बादलकहाँ से आ रहा है?” कैसे समझाऊँ लोगों कोकि नूर अपने लूट के…

कनिका वर्मा – (परिचय)

कनिका वर्मा जन्म स्थान : दिल्ली, भारत वर्तमान निवास : टोरोंटो, कनाडा शिक्षा : पीएच.डी.(टैक्सस स्टेट यूनिवर्सिटी) संप्रति : प्रोफ़ेसर, रिसर्च स्कॉलर, रेडियो जॉकी/रेडियो होस्ट प्रकाशित रचनाएँ : प्रथम अँग्रेज़ी…

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