पर्व वेला – (कविता)
पर्व वेला पर्व वेला में मधुर इक गीत जो मैं गुनगुनाता,प्राण मेरे साथ गाओ।समय की उज्जवल शिला परजो लिखे हैं भाव मेरे,गीत के तुम स्वर बनाओ। पहर बीते, दिन ढले,बरस…
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पर्व वेला पर्व वेला में मधुर इक गीत जो मैं गुनगुनाता,प्राण मेरे साथ गाओ।समय की उज्जवल शिला परजो लिखे हैं भाव मेरे,गीत के तुम स्वर बनाओ। पहर बीते, दिन ढले,बरस…
गीत ये निष्प्राण है गीत ये निष्प्राण है, शब्द का केवल चयन।इस उमड़ती भीड़ में अस्तित्व मेरा क्या हुआहैं अनेकों पर अकेला मैं भटकता ही रहा।आज कोई घर न मेराना…
एक विश्वास एक आशा मेरे वो गीत आज मौन आज सहमे हैंथम गई मेरी कलम और उदास नग़मे हैं। वो भी दिन थे जो मैंने गीत प्यार के गायेशब्द जीवित…
आतंक और आकांक्षा मेरी पुण्य धरती को किसने चुरायाकैसा अँधेरा है कैसा है साया। यहाँ बह रही हैं प्रलय की हवाएँक्रन्दन मचा है जलती चितायें। ले क्रोध की लौ मानव…
जगमोहन हूमर जन्मस्थान : उदयपुर, राजस्थान वर्तमान निवास : ओटवा, ओन्टेरियो शिक्षा : पीएच. डी. (इन्जीनियरिंग) प्रकाशित रचनाएँ : जीवन के रंग (काव्य संग्रह); केनेडियन हिन्दी काव्य धारा, उत्तरी अमेरिका…